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संकट की घड़ी में दर्जनों संगठन और समाज सेवी हुए गायब, युवा बन रहे सहारा, राशन किटों के साथ दवाओं का भी उठा रहे खर्चा

locationटीकमगढ़Published: May 18, 2021 09:25:33 pm

Submitted by:

akhilesh lodhi

३४ दिनों के कफ्र्यू से मध्यवर्गीय और मजदूरों की हालात खराब हो गई है। शहरीय, नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में बीमारी के साथ भोजन व्यवस्थाओं की स्थिति भी चरमरा गई है।

The condition of everyday and rural areas is bad

The condition of everyday and rural areas is bad


टीकमगढ़.३४ दिनों के कफ्र्यू से मध्यवर्गीय और मजदूरों की हालात खराब हो गई है। शहरीय, नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में बीमारी के साथ भोजन व्यवस्थाओं की स्थिति भी चरमरा गई है। ऐसी महामारी में पीडि़त लोगों की मद्द करने के लिए ना तो समाजसेवी नजर आ रहे और ना ही मैदान में काम करने वाले दर्जनों संगठन दिखाई दे रहे है। वहीं युवा पीडि़तों का सहारा बन रहे है। वह सूखा राशन किट के साथ दवाओं का भी खर्चा उठा रहे है।
प्रशासन ने २४ मई तक कोरोना कफ्र्यू लगाने का आदेश जारी किया है। जिससे मध्यवर्गीय और मजदूर वर्ग की हालत डगमगाने लगी है। ऐसे लोगों की मद्द करने के लिए जिले में क छुक समाजसेवी, प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर फ्रंट लाइन में काम कर रहे है। इसके साथ ही कई शिक्षक और छात्र, युवा भी सामने आए है। कोई थर्मल स्क्रीनिंग करके तापमान माप रहे है तो कुछ युवा धन एकत्रित करके सूखा राशन खरीदकर पीडि़तों के घरों तक किट पहुंचा रहे है। लेकिन इस महामारी में ना तो संगठन नजर आए रहे है और वार्डो के साथ ग्राम पंचायत और नगरीय क्षेत्रों के समाजसेवी नजर आए है। हालांकि उनके द्वारा सोशल मीडिया पर मार्गदर्शन दिया जा रहा है जो कुछ ही देर में वह मार्गदर्शन ध्वस्त हो जाता है। वहीं ईदगाह कमेटी द्वारा जरूरतमंदों को राशन किट वितरण की गई है।
रोजमर्रा और ग्रामीण क्षेत्रों के हालात खराब
शहरीय क्षेत्रों में रोजमर्रा और मध्यवर्गीय परिवारों की हालात खराब बनी हुई है। आज उन लोगों को मद्द की जरूर है। लेकिन सैकड़ों परिवार ऐसे है, जिनका स्थल दूर है। जिसे ना तो सरकारी खाद्यान्न का लाभ मिल पा रहा है और ना ही पात्रता की श्रेणी में आ रहे है। उनका मुख्य साधन रोज कमाना और रउसी से परिवार का भरण पोषण करना है। वहीं प्रशासन द्वारा तीन माह तक के लिए निशुल्क राशन वितरण किया जा रहा है।

नगरीय क्षेत्र से लेकर ग्राम पंचायत के समाजसेवी गायब
जिले में क्षेत्रीय सांसद, दोनों जिलों के विधायक कुछ हद जरूरतमंदों के लिए कार्य कर रहे है। लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत अध्यक्ष, जनपद सदस्य, ग्राम पंचायत सरपंच, नगरपालिका क्षेत्र के पार्षद के साथ नपाध्यक्ष इस महामारी में लोगों के बीच से गायब है। इसके साथ ही चुनाव और अन्य त्यौहारों के कार्यक्रमों को कराने वाले दर्जनों संगठन के जिम्मेदार भी दिखाई नहीं दे रहे है। जबकि इस महामारी के समय उन समाजसेवी और विभिन्न संगठनों की जरूरत है। जो आज फ्रंट लाइन में दिखाई नहीं दे रहे है।
१० में से दो परिवार पीडि़त
10 परिवारों में से 2 परिवार के लोगों कोरोना के कारण किसी न किसी विपत्ती का सामना कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें शासन और जनप्रतिनिधियों की सहायता की जरूरत है। किसी को दवाओं की तो किसी को भरण पोषण की। लेकिन इस समय कोई भी मद्द करने नहीं आ रहा है।
संगठन भी दिखे पीछे
जिले में सभी समाज के संगठन हैं। सभी की सहायतों के लिए सक्षम हैं। लेकिन यह संगठन आपदा के समय मद्द मेंं आगे नहीं आ रह है। जबकि धार्मिक कार्यक्रमों के साथ सामुहिक कार्यक्रमों में धन एकत्रित करने की मुहिम चलाई जाती है। लेकिन महामारी में ईदगाह कमेटी को छोड़ कोई भी संगठन आगे नहीं आ रहे है।
शिक्षक के साथ छात्र कर रहे पीडि़तों का सहयोग
शिक्षक अजीम मोहम्मद ने बताया कि कोरोना काल की इस भयंकर महामारी के समय बहुत सारे लोगों के काम बंद पड़े हैं। जिन्हें इस समय हमारी जरूरत है। उन्होंने कुण्डेश्वर क्षेत्र में सूखा राशन बांटने की मुहिम छेड़ी। कुण्डेश्वर के नवयुवकों द्वारा गरीब और बेसहारा लोगों को आटा, चावल, दाल दो प्रकार के नमक, गरम मसाला, मिर्ची पाउडर, धनिया पाउडर, सरसों का तेल, हल्दी पाउडर, शक्कर, चाय पत्ती, टूथपेस्ट, साबुन सहित अन्य घर में उपयोग आने वाली सामग्री है। यह मद्द पीयूष सिरोठिया, दिनेश खटीक, जितेंद्र पस्तोर, आबिद अली, मुरलीधर द्विवेदी, साकेत त्रिपाठी, पुष्पेंद्र पाल, राजू यादव, अर्जुन पंडित, बृज यादव, अंशुल व्यास द्वारा की जा रही है।
शहर की वस्तियों में यह कर रहे मद्द
शहरीय क्षेत्रों में युवा सौरभ खरे, विनय प्रताप सिंह द्वारा पीडि़तों को चिन्हित करके सूखा राशन की किट वितरण कर रहे है। जो लोग बीमार है, उन्हें दवाओं की किट भी वितरण कर रहे है। इसके साथ ही ब्रेक दी चैन अभियान के माध्यम से छात्र संकल्प जैन, ऋ षि अवस्थी आशय वर्मा द्वारा पांच-पांच लोगों की टीम बनाकर ३५ गांवों के लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग से जांच की जा रही है।
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