scriptThe divine court started three hours late | श्रद्धालुओं से खचाखच भरा पंडाल और गंजीखाना मैदान | Patrika News

श्रद्धालुओं से खचाखच भरा पंडाल और गंजीखाना मैदान

locationटीकमगढ़Published: Feb 28, 2023 08:07:51 pm

Submitted by:

akhilesh lodhi

मंगलवार के दिव्य दरवार में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दर्शन मात्र के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पंडाल और गंजीखाना मैदान खचा खच भरा था। सुबह १० बजे की जगह महाराज दोपहर १२.३० बजे के करीब दिव्य दरवार स्थल पहुंचे। दोपहर १.१३ बजे से दिव्य दरवार शुरू हुआ।

The divine court started three hours late
The divine court started three hours late

टीकमगढ़. मंगलवार के दिव्य दरवार में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दर्शन मात्र के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पंडाल और गंजीखाना मैदान खचा खच भरा था। सुबह १० बजे की जगह महाराज दोपहर १२.३० बजे के करीब दिव्य दरवार स्थल पहुंचे। दोपहर १.१३ बजे से दिव्य दरवार शुरू हुआ। इसमें इटारसी, हरियाणा, टीकमगढ़, बम्हौरी बराना के साथ अन्य लोगों की समस्याएं सुनी। जिसमें ज्यादातर बेरोजगारी, बीमारी, गृह क्लेश और व्यवसाय में घाटे की अर्जी सामने आई। यह कार्यक्रम करीब तीन घंटे तक चला।
दोपहर में दिव्य दरवार में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि आज के दरवार में जो-जो विराजमान है मेरे पागलों, आज के बाद ही बाला जी दरवार को पकड़ों, माध्यम में नहीं पड़ो, मंदिरों में जाओं, हम मिले या नहीं मिले, सभी भाव पूरे होगें। हम और आपको शक्तियां जरूर दिखाई नहीं पड़ती,सन्यासी बाबा और बाला जी को हम आप सभी दिखाई पड़ते है।
टीकमगढ़ में जिन पर नाकारात्मक ऊर्जा है, उनके लिए दरवार लगाया जाए, आप हमारे हो और हम तुम्हारे है, एक न एक दिन हम तुमसे जरूरी मिलेगें, पर्चा भी बनाएगें। आज घर जाना और संकटों से कह देना भाग जाओं, हमारे बाला जी संकटमोचन हो गए है। जो पर्चे पर लिख दिया वह कटने वाला नहीं है। जो उपाय न करे और दिन भर पउआ पर पउआ पिए जाए और मंगलवार को मुंह पौछ कर कहे जय हनुमान ज्ञानगुन सागर... भूत पचास निकट नहीं आवें, ठठरी के बरे नककटा, फिर कहो गुरू जी काम सफल नहीं हुआ, आगी के लय, लुअर के लय। उन्होंने कहा कि भारत का एक ऐसा बाला जी का दरवार है जो आज के पहले सनातप धर्म को पाखंडी कहा जाता था, कहते थे कुछ नहीं होता है, पहली बार ऐसा बोलने वालों के मुह पर तमाचा मारा है बागेश्वर बाला जी ने, बडे-बडे वृद्धिमान आते है वृद्धि लगाने.. लेकिन उनकी ठठरी बर जाए, यही प्रत्यक्ष प्रमाण बाला जी के यहां है।
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