scriptस्कूल संचालकों की मनमानी पर शिक्षा विभाग नहीं लगा पा रहा लगाम | The education department can not control the arbitrariness of school | Patrika News
टीकमगढ़

स्कूल संचालकों की मनमानी पर शिक्षा विभाग नहीं लगा पा रहा लगाम

हर साल बढ़ा रहे फीस, पुस्तक व यूनिफार्म में भी कमीशन का खेल

टीकमगढ़Apr 23, 2019 / 01:16 am

नितिन सदाफल

The education department can not control the arbitrariness of school operators

The education department can not control the arbitrariness of school operators

टीकमगढ़. निजी स्कूलों की मनमानियों के चलते इन दिनों अभिभावकों को फीस जमा करने और किताबों के साथ ड्रेस खरीदने के लिए कई प्रकार के जतन करने पड़ रहे है। इनकी मनमानी को रोकने के लिए शिक्षा विभाग के पास नियम और कानून है, लेकिन वह नियम कानून सिर्फ फाइलों तक ही सीमित है। अभिभावकों द्वारा शिकायत भी की जाती है तो जांच में भी खानापूर्ति कर दी जाती है।
अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है। स्कूलों में प्रवेश के नाम पर मनमाने तरीके से फीस स्कूल संचालक वसूल रहे है। वहीं किताबें और यूनिफार्म के नाम पर भी कई स्कूल संचालकों द्वारा कमीशन का खेल खेला जा रहा है। अभिभावकों से लगातार लूट के बाद भी शिक्षा विभाग और प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सभी स्कूलों में एनसीइआईटी की किताबें ही पढ़ाई जानी है। इन तमाम दिशा निर्देश और नियम कायदों को ठेंगा दिखाते हुए अधिकांश स्कूल प्रबंधक निजी प्रकाशकोंं की किताबें धडल्ले से चला रहे है। जिनकी कीमत एनसीइआरटी की तुलना में बहुत ज्यादा है। मजबूरन अभिभावकों को सीबीएससी समेत एमपी बोर्ड से संबंध निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने में निजी प्रकाशकों की किताबेंं खरीदना पड़ रही है।
नर्सरी की डे्रस 400 रूपए से शुरू- नगर में करीब ५ डे्रस की दुकानें संचालित है। इन दुकानदारों द्वारा एक डे्रस 400 सौ रुपए में बेची जा रही है। अभिभावकों को 4 सौ रुपए में एक शर्ट और एक पेंट दिया जा रहा है।

ऑनलाइन फीस के नाम पर अवैध वसूली
अभिभावक राजेंद्र सिंह लोधी, पुरूषोत्तम प्रजापति, संतोष यादव ने बताया कि शहर के कुछ स्कूलों द्वारा ऑनलाइन फीस ली जा रही है। निर्धारित फीस के नाम पर दो से तीन सौ रुपए अतिरिक्त लिए जा रहे है। जिसकी कोई रसीद नहीं दी जा रही है। उनके द्वारा बताया जा रहा कि नेट के खर्चा का बिल अभिभावकों से ही लिया जाएगा।

फीस तय करने नहीं बनाई गई समिति
व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाना चाहता है। इसका फायदा निजी स्कूल संचालकों द्वारा उठाया जा रहा है। निजी स्कूल एसोसिएशन द्वारा मनमाने तरीके से हर साल फीस की बढ़ोत्तरी की जा रही है। जिसको लेकर आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दिला पा रहा है। लेकिन शासन द्वारा फीस तय करने को लेकर समिति बनाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है।

यूनिफार्म के भी ले रहे ज्यादा दाम
जो कपड़ा बाजार में 100 से 150 सौ रुपए में मिल रहा है। उनकी यूनिफार्म बाजार में 400 से 600 रुपए में बिक रही है। संचालकों के आदेश से मजबूर होकर पालक इन डे्रस को जबरन खरीद रहे है। जबकि उस यूनीफार्म का कपडा गुणवत्ताहीन होता है। ड्रेस के दाम मनमाने तरीके से वसूले जा रहे है। स्कूलों का मोनो लगाकर ड्रेस के दामों को बढ़ा देते है। जिससे अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

12०० से 5००० रुपए तक की किताबें
किताब दुकानदारों ने बताया कि निजी प्रकाशकों की नर्सरी से आठवीं तक की किताबें 12 सौ रुपए से 5 हजार रुपए तक तक में आ रही है। इसमें हैरानी की बात यह है कि इन किताबों के साथ अभिभावकों को पूरा सेट खरीदना पड़ रहा है। सिंगल पुस्तक स्टेशनरी संचालक देने को तैयारी नहीं है। खास बात यह है कि बाजार में पहली कक्षा से पांचवी तक की एनसीईआरटी की किताबें 5५0 से ७00 सौ रुपए में बिक रही है। लेकिन निजी प्रकाशकों की वहीं किताबेेंं 5 हजार रुपए में बिक रही है। निजी स्कूलों में बीते एक साल के दौरान पुस्तकों के रेट 3 से 4 सौ रुपए की वृद्धि कर दी गई है। कक्षा दूसरी की 40 पेज की किताब 200 सौ रुपए में मिल रही है। जिससे अभिभावकों के कंधो पर फीस के अलावा कॉपी-किताबों के बढ़े दामों का अतिरिक्त भार डाल दिया है।

कार्रवाई की जाएगी
निजी स्कूलों में फीस, किताबें और ड्रेसों को लेकर चर्चाए सुनने को मिल रही है। निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए एक जांच टीम बनाई जाएगी। नगर सहित जिले में नियम विरुद्ध तरीक से जितने भी स्कूल संचालित है। उनको चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी।
एसपी पाण्डेय, जिला शिक्षा अधिकारी, टीकमगढ़

Home / Tikamgarh / स्कूल संचालकों की मनमानी पर शिक्षा विभाग नहीं लगा पा रहा लगाम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो