निवाड़ी जिले के राजस्व का सबसे बड़ा श्रोत यहां का खनिज है। अब तक पायरोफ्लाइट, ग्रेनाइट और खंडा पत्थर के लिए पहचाने जाने वाले निवाड़ी को अब जल्द ही लोह अयस्क के लिए भी पहचाना जाएगा। निवाड़ी जिले के खनिज अधिकारी पंकज ध्वज मिश्रा ने बताया कि यहां पर लोह अयस्क की पहचान होने पर धौर्रा उरदौरा में 130 हैक्टेयर की खदान चिंहित की गई थी। इसक टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जबलपुर की पैस्फिक आयरन मैन्यू फेबरिक लिमिटेड कंपनी को इसका ठेका दिया गया है। उनका कहना था कि कंपनी द्वारा इसके लिए पहली किस्त के रुप में 2.59 करोड़ रुपए भी जमा करा दिए गए है। उनका कहना था कि कंपनी अब यहां पर अपना काम शुरू करने जा रही है। कुछ और औपचारिकताओं के पूर्ण होने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा।
आधी जमीन प्रायवेट, होगा अधिग्रहण
पंकज ध्वज मिश्रा ने बताया कि धौर्रा उरदौरा में चिंहित की गई 130 हैक्टेयर जमीन में से 60 हैक्टेयर प्रायवेट जमीन है। इसमें से बहुत से जमीन नान मिनरल है। उनका कहना था कि इसमें से कंपनी को जितनी जमीन की आवश्यकता होगी, उसका अधिग्रहण किया जाएगा। इसके लिए कंपनी ही किसानों को मुआवजा देगी। उनका कहना था कि जमीन की जांच एवं कंपनी की आवश्यकता के अनुसार जमीन आधिग्रहण की प्रक्रिया की जाएगी।
कारखाना लगाया जाएगा
कंपनी को ठेका देने के बाद यहां पर केवल खनन किया जाएगा या लोहा बनाने का कारखाना भी स्थापित किया जाएगा, इसे लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि कंपनी कारखाना स्थापित करेगी। पंकज ध्वज का कहना है कि कारखाना यही पर बनने से क्षेत्र के विकास को काफी गति मिलेगी और रोजगार के तमाम अवसर पैदा होंगे। उनका कहना था कि अभी काम शुरू होने में लगभग एक से डेढ़ वर्ष का समय लगेगा। उसके बाद सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।