बारिश के दौरान यह जानलेवा बीमारी डिप्थीरियों जन्म लेती है। इस बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए जिले में डिप्थीरिया, टीडी टीकाकरण अभियान की शुरूआत स्कूलों से की जाएगी। 16 से 31 अगस्त तक चलाने जाने वाले चाइल्ड वैक्सीनेशन अभियान की स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां तेज कर दी हैं। 15 अगस्त के बाद इस अभियान को हरी झंडी दी जाएगी।
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. पीके माहौर ने बताया कि डिप्थीरिया की बीमारी को खत्म करने चाइल्ड अभियान के तहत पांच वर्ष की आयु के बच्चों को डीपीटी और 10 और16 वर्ष के बच्चों को टीडी की वैक्सीन लगाई जाएगी। वैक्सीन लगाने की शुरुआत स्कूलों से की जाएगी। उसके बाद शाला त्यागी बच्चें, आंगनबाड़ी में दर्ज बच्चों का टीकाकरण आंगनबाड़ी केंद्रों में किया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग टीम तैयार है, 15 अगस्त के बाद ये टीमें स्कूल में पहुंचकर चिन्हित और निर्धारित उम्र के बच्चों को वैक्सीनेशन कर इस बीमारी से बचाने के लिए कवर करेंगी। उन्होंने बताया कि अब इसके उपचार टीका मात्र है। इसलिए वैक्सीन लगाना आवश्यक है। यदि कोई पीड़ित होता है तो उसके लक्षण का उपचार किया जाता है, चिकित्सालय सिम्पटकोमेटिक ट्रीटमेंट दिया जाएगा।
यह है लक्षण
डिप्थीरिया के लक्षण संक्रमण फैलाने के दो से पांच दिनों में दिखाई देते हैं। स्किन का रंग नीला पडऩे लगता है। डिप्थीरिया संक्रमण फैलने पर सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके अलावा गर्दन में सूजन हो सकती है, साथ ही गले में दर्ज होता है। इसका संक्रमण फैलने के बाद बुखार रहने लगता है। इसके अलावा शरीर हमेशा बेचैन रहता है। डिप्थीरिया संक्रमण में खांसी आती है, साथ ही खांसते समय अलग तरह की आवाज आती है।
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संक्रमण बीमारी है डिप्थीरिया
टीकाकरण अधिकारी का कहना था कि डिप्थीरिया एक संक्रमण की बीमारी होती है। डिप्थीरिया के जीवाणु मरीज के मुंह, नाक और गले में रहते हैं। डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने पर आसानी से फैलता है। बारिश के मौसम में डिप्थीरिया सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इस समय इसके जीवाणु सबसे ज्यादा फैलते हैं। डिप्थीरिया के इलाज में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इसमें देरी होने पर जीवाणु पूरे शरीर में तेजी से फैलते हैं।