खेल के नाम पर हर साल ली जाती खेल के नाम पर फीस
जिले में ७५ हजार ६०३ छात्र-छात्राओं से ५८ लाख २७ हजार २० रुपए खेल के नाम फीस ली जाती है। इस राशि से खेल खर्च के विभिन्न कार्यो में खर्च किया जाता है। लेकिन जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा राशि को तो खर्च किया जाता है। लेकिन प्रशिक्षित शिक्षकों से खिलाडियों को सिखाया नहीं जाता है। जिसके कारण जिला खेल के मामले में पीछे पड़ा हुआ है।
ये खिलाएं जाते खेल
जिलास्तरीय, संभाग स्तरीय, राज्यस्तरीय खेलकूं द प्रतियोगिताओं में छात्रों को शासन द्वारा इन खेलों को खिलाना अनिवार्य रखा गया है। जिसमें बॉक्सिंग, तलवारबाजी, फुटवाल, टेबिल टेनिस, कूडो, बेसबाल, किक बाक्सिंग, हॉकी, खो खो, बाल बेडमिंटन, जूडो, शतरंज, बालीबाल, सॉफ्टबाल, हैण्डबॉल, बॉलीवाल, कराटे, सॉफ्टबाल, तैराकी, कब्ड्डी, रोप स्पीकिंग, रस्स्ी कंूद, क्रिकेट, लेप क्रिकेट, ताई कमांडों, हैंडबाल, बास्केड बाल के साथ ६२ प्रकार के खेल कराए जाना चाहिए।
प्रतिवर्ष जाते थे ६० से ७० खिलाडी
कुण्डेश्वर से तैराकी, खो-खो योगा, फुटबाल के साथ अन्य प्रतियोगिताओं में प्रति वर्ष ६० से ७० छात्र-छात्राएं संभाग से प्रदेश स्तर पर खेल में शामिल होते थे। इसके साथ ही तीन वर्ष पहले तैराकी में अण्मान निकोबार दीप में तैराकी में जिले की टीम गई हुई थी। प्रशिक्षिक शिक्षकों की ड्यूटी नहीं लगाने के कारण खिलाडी खेल में नहीं पहुंच पा रहे है।
ऐसे करते है खेल की राशि को जाम
शासन स्तर पर छात्रों के लिए खेलकूंद में दर्जनों योजनाएं संचालित हो रही है। जिले में २०७ हाईस्कूल और हायरसेकेंड्ररी स्कूल में प्रवेश लेने वाले कक्षा ९ वीं,१०वीं के छात्रों से ६ रुपए महीना और कक्षा ११वीं,१२वीं छात्रों से १० रुपए महीना के हिसाब से खेल क्रीड़ा की शुल्क जमा करा ली जाती है। उस राशि को १५ प्रतिशत संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग सागर, ४० प्रतिशत स्कूल कार्यालय में जमा करके ४५ प्रतिशत जिलाशिक्षा अधिकारी के बैंक खाता में जमा करा लिया जाता है। खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर खर्चा की जाती है।
इनका कहना
खेल शिक्षकों को तो तैनात किया ही जाता है, इसके साथ ही अनुभवी कर्मचारियों को तैनात किया जाता है। आरोप प्रत्यारोप तो लगाए जाते है। तो एक और दो वर्ष के खेल डिप्लोमा दिए है। उन्हें शासन के आदेश पर ही उन्हें खेलों में तैनात किया जाएगा।
एसडी अहिरवार जिला खेल क्रिडाअधिकारी टीकमगढ़।