22 सालों बाद अप्रत्यक्ष प्रणाली से जहां चुनाव हुए तो कांग्रेस के सामने भी पिछले 22 सालों से चल रहे वनवास को खत्म करने की चुनौती थी। इस बार कांग्रेस ने भी जहां अपनी तैयारियां जोरों से की थी तो मतदाताओं का मन भी कांग्रेस के पक्ष में ही दिखा है। यही कारण है कि शहर में हुए मतदान में भाजपा के मुकाबले लोगों ने कांग्रेस को जमकर वोट दिए है। नगर के 27 वार्डों में से 26 के लिए मतदान हुए था। वार्ड नंबर 26 की प्रत्याशी को निर्विरोध चुने लिए जाने के कारण इस वार्ड में मतदान नहीं किया गया था।
सबसे बड़ी जीत कांग्रेस की
इस चुनाव में सबसे बड़ी जीत भी कांग्रेस के खाते में आई है। कांग्रेस की ओर से तीन प्रत्याशी जहां 500 से अधिक मतों से जीते है तो वहीं भाजपा की ओर से मात्र एक प्रत्याशी ही 500 से अधिक वोट से जीते है। इस बार की 916 वोटो से सबसे बड़ी जीत वार्ड नंबर 27 के कांग्रेसी पार्षद राखी यादव की हुई है। राखी यादव ने भाजपा की प्रत्याशी आशा सेन को हराया है। राखी यादव को जहां 1219 वोट मिले थे तो आशा सेन को मात्र 303 मत ही प्राप्त हुए है। वहीं दूसरे नंबर पर रेकार्ड मत लेकर जीत का खिताब कांग्रेस के वार्ड 22 के पार्षद अब्दुल गफ्फार के नाम रहा है। उन्होंने भाजपा के मुईन खान को 826 मतों से परास्त किया है। अब्दुल गफ्तार को जहां 1146 मत मिले है, वहीं मुईन को 320 वोट ही मिल सके है। इसके बाद कांग्रेस को तीसरी बड़ी जीत सुषमा संजय नायक के रुप में वार्ड नंबर 20 से मिली है। सुषमा संजय नायक ने यहां पर भाजपा की प्रत्याशी वर्षा हर्ष मिश्रा को 542 मतों से परास्त किया है। सुषमा संजय नायक को जहां 827 मत मिले थे तो वर्ष हर्ष मिश्रा को 285। 500 से अधिक वोटों से जीत भाजपा के खाते में वार्ड नंबर 12 से आई है। यहां पर भाजपा प्रत्याशी चंद्रप्रभा झा को 917 तो कांग्रेस की विमलेश यादव को महज 255 मत मिले है।
भाजपा-कांग्रेस के दिग्गज हारे
इस चुनाव में भाजपा के दिग्गज प्रत्याशियों को भी हार का सामना करना पड़ा है। इसमें कुछ को तो अध्यक्ष का दावेदार माना जा रहा था। वार्ड नंबर 8 से भाजपा के प्रत्याशी प्रत्येन्द्र सिंघई को हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें मात्र 220 वोट मिले है, जबकि लोग प्रत्येन्द्र को अध्यक्ष के उम्मीदवार के रुप में देख रहे थे। वहीं वार्ड नंबर 3 से मनोज देवलिया को भी चुनाव हारे है। यह भी अध्यक्ष के उम्मीदवार के रुप में मैदान में थे। इसके साथ ही सबसे अधिक चर्चा का विषय रहे वार्ड नंबर 1 की प्रत्याशी नेहा गिरि और वार्ड नंबर 6 की प्रत्याशी मोहनी गिरि भी चुनाव हारी है। यह दोनों प्रत्याशी विधायक राकेश गिरि के खाते से थे और वहीं पूरा चुनाव देख रहे थे। इन दोनों में से किसी के भी जीतने पर उसे अध्यक्ष के रुप में पेश किया जा सकता था। वहीं कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष गौरव शर्मा को वार्ड नंबर 17 और अंकित जैन को वार्ड नंबर 8 से हार का सामना करना पड़ा है। यह लोग भी अध्यक्ष की दौड़ में शामिल माने जा रहे थे।
इस बार के चुनाव में मतदाताओं के मन में भाजपा की नगर सरकार के खिलाफ खुलकर असंतोष दिखा है। यह असंतोष निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत के रुप में भी सामने आया है। शहर के तीन वार्डों से निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते है। इसमें से दो कांग्रेस से बागी होकर मैदान में आए थे तो एक भाजपा से। ऐसे में यदि देखा जाए तो जनता से भाजपा की जगह कांग्रेस को पूरी तरह से समर्थन किया है। इसके बाद भी अब अध्यक्ष पद को लेकर लोगों के मन में संशय दिखाई दे रहा है। चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए काम शुरू कर दिया है। ऐसे मेें एक बार फिर से जोड़तोड़ की आशंका प्रबल हो गई है। अब लोगों को बेसब्री से 10 अगस्त का इंतजार बना हुआ है।