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UNESCO ने भी माना विश्व धरोहर है भगवान राम का घर

locationटीकमगढ़Published: Jun 08, 2019 04:56:25 pm

Submitted by:

Faiz

हालही में UNESCO प्रदेश के टीकमगढ़ ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों को भी अस्थाई रूप से विश्व धरोहर का स्थान दे दिया है। UNESCO ने ओरछा की इन धरोहरों को विश्व की 982 धरोहरों की सूची शामिल किया है।

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UNESCO ने भी माना विश्व धरोहर है भगवान राम का घर

टीकमगढ़ः मध्य प्रदेश अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक सौंदर्यता का धनी राज्य है। यहां ऐसे स्थान भी हैं, जिन्हें विश्व धरोहर के रूप में जाना जाता है। पहले यहां तीन स्थानों को विश्व धरोहर स्थल कहा जाता था, लेकिन, हालही में UNESCO प्रदेश के टीकमगढ़ ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों को भी अस्थाई रूप से विश्व धरोहर का स्थान दे दिया है। UNESCO ने ओरछा की इन धरोहरों को विश्व की 982 धरोहरों की सूची शामिल किया है। अब तक यूनेस्को मध्य प्रदेश के चारों स्थलों को इस सूची में स्थान दे चुका है। इसमें ओरछा स्थित प्रसिद्ध और ऐतिहासिक स्थलों के अलावा छतरपुर जिले के खजुराहो में स्थित मंदिरों को इसमें सूचीबद्ध किया जा चुका है। साथ ही, रायसेन जिले के सांची स्थित स्तूप को इसमें जगह दी जा चुकी है। रायसेन जिले की ही भीमबेटका गुफाओं को यूनेस्को की सूची में विश्व धरोहर का स्थान मिल चुका है। आइये जानते हैं प्रदेश के इन खास स्थानों के बारे में, ताकि आप इनकी खूबियों से परिचित हो सकें।
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इस आधार पर UNESCO देता है विश्व धरोहर का स्थान

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प्रदेश में स्थित इन खास विश्व धरोहरों के बारे में जानने से पहले हम ये जान लेते हैं कि, यूनेस्को द्वारा किन आंकलनो के बाद किसी स्थल को विश्व धरोहर का स्थान दिया जाता है। आपको बता दें कि, यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में उन स्थलों को शामिल किया जाता है, जिनका कोई खास भौतिक या सांस्कृतिक महत्व हो। इनमें इस तरह का संदेश प्रदर्शित करने वाले जंगल, झील, भवन, द्वीप, पहाड़, स्मारक, रेगिस्तान, परिसर या शहर को शामिल किया जाता है। हालांकि, अब तक यूनेस्कों द्वारा जारी सूची में पूरे विश्व की 982 धरोहरों को स्थान दिया गया है। यानी ये वो धरोहर हैं, जिन्हें विश्व की धरोहर कहा जाता है। इनमें से 33 विश्व की विरासती संपत्तियां भारत में भी मौजूद हैं। इन 33 संपत्तियों में से 26 सांस्कृतिक संपत्तियां और 7 प्राकृतिक स्थल हैं। इन्ही में पहले की 3 और अब 1 यानी कुल चार विश्व धरोहरों का गौरव मध्य प्रदेश को भी प्राप्त हो चुका है। आइए जानते हैं उन विश्व धरोहरों से जुड़ी खास बातें।


बुंदेला राजवंश वास्तुशिल्प की मिसाल है ओरछा

ओरछा स्थित ऐतिहासिक धरोहरों को यूनेस्को की धरोहरों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। ये धरोहरें बुंदेला राजवंश के अद्भुत वास्तुशिल्प को प्रदर्शित करती हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारी ने अनुसार, 15 अप्रैल 2019 को इस संबंध में यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा गया था। इस प्रस्ताव के साथ ऐतिहासिक तथ्यों के विवरण भी संलग्न किये गए थे। किसी ऐतिहासिक विरासत या स्थल का विश्व धरोहर स्थलों की सूची में जगह पाने से पहले अस्थायी सूची में शामिल होना जरूरी होता है। इसके बाद अब नियमानुसार विभिन्न प्रक्रियाएं पूरी कर एक मुख्य प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा जाएगा।
बेतवा नदी के किनारे पर बसा है ओरछा

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टीकमगढ़ जिले से 80 किलो मीटर दूर उत्तर प्रदेश के झांसी से मात्र 17 किलो मीटर की दूरी पर स्थित ओरछा बेतवा नदी के किनारे बसा एक ऐतिहासिक शहर है। कहा जाता है कि ओरछा को 16वीं सदी में बुंदेला राजा रूद्र प्रताप सिंह ने बसाया था। ओरछा अपने राजा महल या रामराजा मंदिर, शीश महल, जहांगीर महल, राम मंदिर, उद्यान और मंडप आदि के लिए विश्व ख्याति रखता है।

यहां भगवान नहीं राजा हैं श्रीराम

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ओरछा में राम का एक ऐसा मंदिर है, जहां उनकी पूजा भगवान की तरह नहीं बल्कि राजा की तरह की जाती है। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यहां जब सुबह के समय मंदिर के पट खुलते हैं तो सबसे पहले दर्शन पुलिस वाले करते हैं। राजा राम को सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात सलामी दी जाती है। इस सलामी के लिए मध्य प्रदेश पुलिस के जवान तैनात किये जाते हैं। अगर आप ओरछा जाते हैं, तो यकीन जानिए यहां की सुंदरता आपका मन मोह लेगी।
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