बड़ता है बोझ, होती है बहस: जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं में हुए इस बदलाव को लेकर प्रबंधन का कहना है कि इमरजेंसी ड्यूटी के समय में कई बार जहां डॉक्टर गंभीर मरीजों या दुर्घटना में घायलों का उपचार कर रहे होते है, वहीं सामान्य बुखार, सर्दी-खांसी के मरीज भी पहुंच जाते है। ऐसे में यदि इन मरीजों को थोड़ा इंतजार करना पड़ता है, तो कई बार विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है। वहीं इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों पर भी काम का बोझ पड़ता है। प्रबंधन का कहना है कि कई बार सामान्य बीमारी के मरीज भी ओपीडी समय से बच कर इमरजेंसी ड्यूटी में ही दिखाने पहुंचते है। ऐसे में डॉक्टरों पर अनावश्यक दबाव बनता है।
यह है डॉक्टरों की स्थिति: विदित हो कि वर्तमान में जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। जिला चिकित्सालय में विशेष डॉक्टरों के 20 पद स्वीकृत है। इनमें से मात्र 2 कार्यरत है और 18 पद रिक्त पड़े हुए है। वहीं मेडीकल ऑफिसर के 28 पदों में से 19 कार्यरत है, जबकि 9 पद खाली बनी हुए है। इसके साथ ही त्वचा रोग, नाक-कान-गला, रेडियो लॉजिस्ट, पैथालॉजिस्ट के पद भी खाली पड़े है। ऐसे में गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोगों को यहां पर समुचित ईलाज नहीं मिल रहा है।
कहते है अधिकारी: डॉक्टरों की कमी के चलते यह व्यवस्था की गई है। इमरजेंसी समय में सामान्य बीमारियों के मरीजों के आने पर व्यवस्थाएं बिगड़ रही थी। इसलिए यह व्यवस्था की गई है। ऐसे में यदि कोई गंभीर बुखार या अन्य बीमारी का मरीज आता है, तो उसे भी उपचार दिया जाता है।- डॉ सीबी आर्या, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय टीकमगढ़।