आयोजन समिति के ओर से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगवानदास दुबे को अमर सिंह राठौर स्मृति सम्मान, मधुकर शाह जू देव को राजर्षि सम्मान, बृजेन्द्र सिंह राठौर को सवाई रावराजा नरेन्द्र सिंह जू देव स्मृति सम्मान, डॉ. बहादुर सिंह परमार को पं. बनारसीदास चतुर्वेदी स्मृति सम्मान, कवि आचार्य दुर्गाचरण शुक्ल टीकमगढ़ को सवाई महेन्द्र महाराज देवेन्द्र सिंह जू देव स्मृति सम्मान, हरिविष्णु अवस्थी टीकमगढ़ को राजकवि मुंशी अजमेरी स्मृति सम्मान
डॉ. साफिया खान ओरछा को सवाई महारानी बृषभान कुंवर स्मृति सम्मान, गुणसागर सत्यार्थी कुण्डेश्वर को सवाई महेन्द्र महाराज वीरसिंह जू देव स्मृति सम्मान, डॉ. कामिनी राय प्रवीण स्मृति सम्मान, डॉ लखन खरे को आचार्य महाकवि केशव स्मृति सम्मान, प्रो.डॉ के वी एल पाण्डेय को महाकवि अवधेश स्मृति सम्मान, डॉ सुरेश पराग देवेन्द्र नगर को बीणा श्रीवास्तव स्मृति सम्मान,
हरगोविन्द विश्व सागर को पद्मश्री असगरी बाई स्मृति सम्मान, सुरेश शर्मा पत्रकार झांसी को हरगोविन्द त्रिपाठी पुष्प स्मृति सम्मान, मनोहर बघेल को हरदयाल वर्मा सुमन स्मृति सम्मान, डी पी खरे पारदर्शी एवं राजेन्द्र अध्वुर्य को भी सम्मानित किया गया।
केशव शोध संस्थान की पहल होगी
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वाणिज्यकर मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने कहा कि आज का दिन उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस अनूठे कार्यक्रम में साहित्य,कला व संगीत के विद्वानों के बीच बैठकर बहुत कुछ सीखने को मिला है। रियासत अपने आप में अनूठी है,जहां श्रीरामराजा को ओरछा लाने का कार्य किया गया। पर्यटन के क्षेत्र में जंगल,पहाड एवं तालाबो की बात कहें तो हम चारों तरफ से धनी है। पन्ना में जहां हीरा की खदाने है। कुछ प्रस्ताव एव ंकेशव शोध संस्थान की मांग जो साहित्यकारों के द्वारा की गई है। उसको पूरा कराने का प्रयास करेंगे।
मधुकर शाह जूदेव ओरछेश के द्वारा कहा गया कि हमें अपनी बुन्देली धरती और बुन्देली भाषा से प्रेम है। 1980 से लगातार हम बुन्देली भाषा और प्रान्त के लिए प्रयासरत है । बुन्देलखण्डी भाषा एवं बुन्देलखण्ड के इतिहास के संरक्षण के लिए आयोजन कराते आ रहे है। रामराजा से यही विनय करते है कि जब तक यह जीवन है तब तक मै अपनी मातृभूमि की सेवा करता रहूं।