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water crisis चंदेरा में गर्मी के साथ जल संकट ने दी दस्तक

locationटीकमगढ़Published: Mar 14, 2018 11:55:22 am

Submitted by:

Samved Jain

गांव के जिस चंदेलकालीन तालाब में सालों भर पानी की हिलोरें उठती थीं, गर्मी के दस्तक देते ही इस तालाब में अंजुली भर पानी नहीं है।

Chandeliran pond turns into a plain

Chandeliran pond turns into a plain

टीकमगढ़. चंदेरा .गांव के जिस चंदेलकालीन तालाब में सालों भर पानी की हिलोरें उठती थीं, गर्मी के दस्तक देते ही इस तालाब में अंजुली भर पानी नहीं है। यहां के लोगों का हलक तर करना वाले इस तालाब में बूंद भर पानी नहीं बचा है। चंदेलकानी इस तालाब के सूखते ही ग्राम में पेयजल संकट गहरा गया है। हलक तर करने के लिए लोगों को दूर-दूर से पानी लाना पड़ रहा है। बुंदेलखंड में पिछले एक दशक से मानसून की बेरुखी के कारण अधिकतर जलस्रोत अब सूख चुके हैं। जलस्तर काफी नीचे चले जाने के कारण तालाब ही नहीं कुएं भी सूख चुके हैं। हैण्डपम्प पानी के बजाय अब हवा उगल रहे हैं। किसी हैण्डपम्प से थोड़ा-बहुत पानी आ भी रहा है तो वह दूषित पानी निकल रहा है। लोग मजबूरी में वही पानी पीकर अपना हलक तर कर रहे हैं।
रखरखाव के अभाव में अस्तित्व खोते जा रहे चंदेलकालीन तालाब
उचित देखरेख के अभाव में ग्राम में निर्मित चंदेलकालीन चार तालाब अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। कागजों में ही तालाबों का गहरीकरण होता रहा है। हकीकत यह है कि कचरों के कारण तालाब की गहराई दिनों दिन कम होती चली गई। हालात यह हैं कि सूखने के बाद यह ऐतिहासिक व प्राचीन तालाब मैदान में तब्दील हो चुका है।
उचित देखरेख नहीं होने के कारण चन्देल राजाओं द्वारा बनवाए गए जखनेरा तालाब, मडुरया तालाब, धुबेला तालाब और गोरेरा तालाब अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच गए हैं। लोगों का कहना है कि शासन यदि जगह-जगह तलैया निर्माण कराने के बजाय इन तालाबों का जीर्णोद्धार करता तो पानी को सहेज कर रखा जा सकता था। जिन तलैयों का निर्माण किया गया है वहां पानी एकत्र होता ही नहीं।
नल जल योजना ठप्प
ग्राम में संचालित नल जल योजना बोरबेल के सूख जाने से बंद पड़ी है। बोरबेल में पानी था तब सप्ताह में एक-दो बार जलापूर्ति की जाती थी, लेकिन अब नल जल योजना दिखावा बनकर रह गई है। पिछले वर्ष ग्राम को जल संकट से निपटने के लिए 10 मोटर उपलब्ध कराई गई थी। इन मोटरों को शासकीय बोरों में डालकर पेयजल संकट काफी हद तक दूर किया गया था। लेकिन उन मोटरों में दो-तीन के बजाय सरपंच को भी नहीं मालूम कि वे मोटर कहां गए?

पशुओं की हो रही मौतें
प्राचीन तालाब सूख जाने के कारण पशुओं पानी पीने का ठिकाना नहीं मिल रहा है। ऐसे में कई पशु असमय काल के गाल में समा रहे हैं। इन मृत पशुओं को लावारिसों की तरह फेंक देने से दुर्गंध फैल रही है।

इनका कहना है
जलसंकट को देखते हुए कल ही एसडीएम के सहयोग से नवीन बोर का खनन कराया गया है। इससे नलजल योजना एक- दो दिन मे चालू हो जाएगी। पानी की किल्लत जल्द ही दूर होगी।
आरएस वर्मा, एसडीओ, पीएचई विभाग

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