उचित देखरेख नहीं होने के कारण चन्देल राजाओं द्वारा बनवाए गए जखनेरा तालाब, मडुरया तालाब, धुबेला तालाब और गोरेरा तालाब अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच गए हैं। लोगों का कहना है कि शासन यदि जगह-जगह तलैया निर्माण कराने के बजाय इन तालाबों का जीर्णोद्धार करता तो पानी को सहेज कर रखा जा सकता था। जिन तलैयों का निर्माण किया गया है वहां पानी एकत्र होता ही नहीं।
नल जल योजना ठप्प
ग्राम में संचालित नल जल योजना बोरबेल के सूख जाने से बंद पड़ी है। बोरबेल में पानी था तब सप्ताह में एक-दो बार जलापूर्ति की जाती थी, लेकिन अब नल जल योजना दिखावा बनकर रह गई है। पिछले वर्ष ग्राम को जल संकट से निपटने के लिए 10 मोटर उपलब्ध कराई गई थी। इन मोटरों को शासकीय बोरों में डालकर पेयजल संकट काफी हद तक दूर किया गया था। लेकिन उन मोटरों में दो-तीन के बजाय सरपंच को भी नहीं मालूम कि वे मोटर कहां गए?
नल जल योजना ठप्प
ग्राम में संचालित नल जल योजना बोरबेल के सूख जाने से बंद पड़ी है। बोरबेल में पानी था तब सप्ताह में एक-दो बार जलापूर्ति की जाती थी, लेकिन अब नल जल योजना दिखावा बनकर रह गई है। पिछले वर्ष ग्राम को जल संकट से निपटने के लिए 10 मोटर उपलब्ध कराई गई थी। इन मोटरों को शासकीय बोरों में डालकर पेयजल संकट काफी हद तक दूर किया गया था। लेकिन उन मोटरों में दो-तीन के बजाय सरपंच को भी नहीं मालूम कि वे मोटर कहां गए?
पशुओं की हो रही मौतें
प्राचीन तालाब सूख जाने के कारण पशुओं पानी पीने का ठिकाना नहीं मिल रहा है। ऐसे में कई पशु असमय काल के गाल में समा रहे हैं। इन मृत पशुओं को लावारिसों की तरह फेंक देने से दुर्गंध फैल रही है।
इनका कहना है
जलसंकट को देखते हुए कल ही एसडीएम के सहयोग से नवीन बोर का खनन कराया गया है। इससे नलजल योजना एक- दो दिन मे चालू हो जाएगी। पानी की किल्लत जल्द ही दूर होगी।
आरएस वर्मा, एसडीओ, पीएचई विभाग