दुआओं का भी बैलेंस जमा करें: उन्होंने कहा कि हम सभी भविष्य के लिए बैंक बैलेंस रखते हैं, ऐसे ही हमें दुआओं, गुणों और आध्यात्मिक शक्तियों का बैलेंस बनाना है। आध्यात्मिकता हमें सिखाती है कि हम शांति और प्रेम से व्यवहार करें। आंतरिक जगत का संतुलन जरूरी है। हमारा जीवन हमारे विचारों का दर्पण है। जैसे हमारे विचार होते हैं वैसे ही हमारे कर्म होते हैं।
मेडिटेशन से मिलती है विचारों को दिशा: उन्होंने कहा कि अंतर जगत के खजाने को जो वेस्ट करता है वो कमजोर हो जाता है। जो जमा करता रहता है वो शक्तिशाली बन जाता है। मन को कोई ठिकाना नहीं है। इसलिए अपने मन को मारो नहीं समझाओं। मन को मारकर बड़ा काम नहीं किया जा सकता। आध्यात्मिकता हमें जीवन जीने की श्रेष्ठ कला सिखाती है। मेडिटेशन से विचारों को एक दिशा मिलती है। कार्यक्रम को कोटा से आए बीके राजसिंह ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में बीके छाया, बीके रीना, बीके नीलम, अनिता राय, रघुवीर सहाय चौबे सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।