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सफल होने के लिए अपनी शक्तियों का विकास करें

locationटीकमगढ़Published: Oct 10, 2018 10:51:56 am

Submitted by:

anil rawat

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की गीता दीदी ने व्यापार विषय पर कार्यशाला में दिए व्याख्यान

Workshop on Prajapati Brahmakumari Divya Vishwa Vidyalaya Trade topic

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टीकमगढ़. लाभ-हानि व्यापार का एक हिस्सा है। इसके बाद भी व्यापार में नैतिक मूल्य रखते हुए सच्चाई, सफ ाई एवं दूसरों के प्रति कल्याण का भाव रखना और अपने साथ ही दूसरे के फ ायदे की सोचना ही सच्चा व्यापार है। यदि हमारे जीवन में आध्यात्मिकता रहेगी तो हमारा व्यापार भी अलौकिक हो जाएगा। आध्यात्मिकता हमें सिखाती है कि ये संसार परिवर्तनशील है। यह बात माउंट आबू से पधारीं अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मोटिवेशनल स्पीकर एवं बिजनेस विंग की मुख्यालय संयोजिका ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने कहीं।
मंगलवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के गणेशपुरम सेवाकेंद्र में व्यापार सम्मेलन आयोजित किया गया। आध्यात्मिक ज्ञानोदय द्वारा व्यापार विषय पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में गीता दीदी ने कहा कि आज हमारे पास सारे सेट है। डाइनिंग सेट, हार सेट, बच्चों की लाइफ सेट लेकिन खुद का माइंड अपसेट है। अब खुद को सेट करें। खुद को समय दें। खुद को शक्तिशाली बनाओं तो व्यवसाय में सबके साथ व्यवहार अच्छा होगा। हमें पहले 2 शक्तियों को धारण करना होगा। पहला सहन शक्ति और दूसरा है एडजेस्टमेंट पावर। सहनशीलता न होने के कारण व्यक्ति जीवन को ही खत्म कर देते । संबंध ही खत्म कर देते। एक समय अहमदाबाद को कपड़े का मेंचेस्टरी कहा जाता था। लेकिन जब टेक्नोलॉजी आई तो कई कंपनियां बाहर हो गईं। क्योंकि वह समय के साथ और खुद को अपडेट नहीं कर पाईं। यही सिद्धांत हमारे जीवन में लागू होता है। जो व्यक्ति समय और परिस्थितियों के हिसाब से खुद को ढालता नहीं ह वह समय के साथ आगे नही बढ़ पाता है।

दुआओं का भी बैलेंस जमा करें: उन्होंने कहा कि हम सभी भविष्य के लिए बैंक बैलेंस रखते हैं, ऐसे ही हमें दुआओं, गुणों और आध्यात्मिक शक्तियों का बैलेंस बनाना है। आध्यात्मिकता हमें सिखाती है कि हम शांति और प्रेम से व्यवहार करें। आंतरिक जगत का संतुलन जरूरी है। हमारा जीवन हमारे विचारों का दर्पण है। जैसे हमारे विचार होते हैं वैसे ही हमारे कर्म होते हैं।
मेडिटेशन से मिलती है विचारों को दिशा: उन्होंने कहा कि अंतर जगत के खजाने को जो वेस्ट करता है वो कमजोर हो जाता है। जो जमा करता रहता है वो शक्तिशाली बन जाता है। मन को कोई ठिकाना नहीं है। इसलिए अपने मन को मारो नहीं समझाओं। मन को मारकर बड़ा काम नहीं किया जा सकता। आध्यात्मिकता हमें जीवन जीने की श्रेष्ठ कला सिखाती है। मेडिटेशन से विचारों को एक दिशा मिलती है। कार्यक्रम को कोटा से आए बीके राजसिंह ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में बीके छाया, बीके रीना, बीके नीलम, अनिता राय, रघुवीर सहाय चौबे सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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