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जिले की 107 सिंचाई योजनाओं की हालत चिंताजनक, महज 2 तालाब ही आधे भरे

locationटीकमगढ़Published: Aug 18, 2022 08:52:09 pm

Submitted by:

anil rawat

बारिश के दो माह बीते, महज 46 फीसदी ही हुई बारिश

Worrying condition of 107 irrigation schemes in the district

Worrying condition of 107 irrigation schemes in the district

टीकमगढ़. पिछले दो सालों से सूखे की मार झेल रहे जिले में इस बार भी बारिश की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। बारिश का आधे से अधिक मौसम बीज जाने के बाद जिले में बारिश का आधा कोटा भी पूरा नहीं हो सका है। ऐसे में जिले की तमाम सिंचाई परियोजनाओं के हाल भी बेहाल बने हुए है। यदि ऐसा ही रहा तो इस बार जिले के किसान रबी की फसल नहीं कर पाएंगे।


आषाढ़ और सावन का महिना बुंदेलखण्ड में बारिश का प्रमुख समय माना जाता है। यह दोनों माह बीतने के बाद जिले में महज 468 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जबकि जिले की औसत बारिश 1000 मिमी है। ऐसे में अब तक जिले में मात्र 46 प्रतिशत ही बारिश हो सकी है। दो माह में रिमझिम फुहारों तो कभी हल्की मध्यम बारिश के रुप में गिरे इस पानी से स्थिति ऐसी है कि अब तक जिले के कई नाले और लिंक नहरें चल भी नहीं सकी है। तेज बारिश न होने के कारण इन नालों और लिंक नहरों के न चलने के कारण जिले के अधिकांश तालाब खाली पड़े हुए है। विदित हो कि जिले में खेती के लिए पानी की आपूर्ति करने का पूरा जिम्मा इन्हीं तालाबों पर है। इन तालाबों में पानी न पहुंचने से न केवल किसान बल्कि सिंचाई विभाग भी ङ्क्षचतित बना हुआ है।

 

यह है सिंचाई योजनाओं की स्थिति
जिले में सिंचाई का पूरा काम 107 छोटे-बड़े तालाबों से होता है। वहीं जिले की एक मात्र बांध सुजारा परियोजना बल्देवगढ़ क्षेत्र की 75 हजार हेक्टेयर जमीन को सिंचित करती है। धसान नदी पर बने इस बांध में तो पानी आ गया है, जबकि तमाम तालाबों वाली योजनाएं सूखी पड़ी हुई है। सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री आरएन यादव की माने तो मात्र 2 तालाबों में ही 50 प्रतिशत से अधिक पानी जमा हो सका है। जबकि एक तालाब में 25 से 50 प्रतिशत के बीच पानी पहुंचा है। 0 से 25 प्रतिशत के बीच 25 तालाबों में पानी पहुंचा है, जबकि 79 तालाब ऐसे है जो अब भी एलएसएल से नीचे है। मतलब इन तालाबों में अब भी स्लूज लेबल से नीचे पानी है और इनमें से किसी भी स्थिति में सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जा सकता है।


मूसलाधार बारिश की जरूरत
विदित है कि अब जिले में मूसलाधार बारिश की जरूरत है। जिले में बारिश का लगभग आधा कोटा रिमझिम बारिश से पूरा होने से धरती की प्यास तो बुझ गई है, लेकिन तालाबों की प्यास अब भी बरकरार है। चंदेलकाल में बने जिले अधिकांश तालाब एक-दूसरे से या तो लिंक नहरों से जुड़े है, इन तालाबों के भराव का श्रोत नाला या उनका कैचमेट एरिया है। ऐसे में इन तालाबों में पानी पहुंचने के लिए 24 से 48 घंटे तक तेज मूसलाधार बारिश की जरूरत बताई जा रही है। सिंचाई विभाग के ईई यादव की माने तो यदि आगामी एक पखवाड़े तक इस प्रकार की बारिश नहीं होती है तो स्थिति बहुत खराब हो जाएगी। विदित हो कि यदि ऐसा ही रहा तो अगले रबी सीजन में जिले के आधे से अधिक खेत खाली रह जाएंगे।

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