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दस दिन में तैयार हो गई कन्नड़ फिल्म, लॉकडाउन की लम्बी दास्तान

locationमुंबईPublished: Jun 03, 2020 11:08:56 pm

इस कन्नड़ फिल्म की खास बात यह है कि इसकी शूटिंग लॉकडाउन के दौरान ही की गई, जब देशभर में शूटिंग का सिलसिला ठप पड़ा था। ‘द पेंटर’ की शूटिंग 10 दिन तक चेन्नई, बेंगलूरु, तुमकुर, कंकापुरा और हेब्बल में अलग-अलग जगह की गई।

दस दिन में तैयार हो गई कन्नड़ फिल्म, लॉकडाउन की लम्बी दास्तान

दस दिन में तैयार हो गई कन्नड़ फिल्म, लॉकडाउन की लम्बी दास्तान

-दिनेश ठाकुर

संकट काल में संवेदनशील रचनाकारों के लिए सृजन के कई रास्ते खुलते हैं। जैसा कि सुमित्रानंदन पंत ने कहा है- ‘वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान।’ कोरोना काल ने तो जैसे आहों का हिमालय ही खड़ा कर दिया है- जिधर नजर डालिए, दुख भरी कहानियां हैं। लॉकडाउन के दौरान जिंदगी घुटन के कैसे माहौल से गुजरी, इस पर दक्षिण के फिल्मकार वेंकट भारद्वाज ने एक फिल्म तैयार की है। ‘द पेंटर’ नाम की इस कन्नड़ फिल्म की खास बात यह है कि इसकी शूटिंग लॉकडाउन के दौरान ही की गई, जब देशभर में शूटिंग का सिलसिला ठप पड़ा था।

‘द पेंटर’ की शूटिंग 10 दिन तक चेन्नई, बेंगलूरु, तुमकुर, कंकापुरा और हेब्बल में अलग-अलग जगह की गई। बाद में सभी जगह के फुटेज को एक जगह संपादित किया गया। फिल्म का काम अप्रेल के पहले हफ्ते में शुरू किया गया था। चूंकि लॉकडाउन के दौरान सफर नहीं किया जा सकता था, इसलिए पांच अलग-अलग टीमें बनाई गईं और उन्हें पांच अलग-अलग जगह की शूटिंग का जिम्मा सौंपा गया। रॉ फुटेज को एक से दूसरी जगह भेजने के लिए होम इंटरनेट डाटा का इस्तेमाल किया गया।

वेंकट भारद्वाज मध्यममार्गी फिल्मकार हैं। यानी अपनी फिल्म को वे इतना शास्त्रीय भी नहीं बनाते कि आम दर्शक के पल्ले न पड़े और इतने फार्मूले भी नहीं लादते कि मूल थीम दब जाए। वे मनोरंजन के साथ संदेश देने में यकीन रखते हैं। उनकी पिछली फिल्म ‘उनरवु’ (भावनाएं) बर्लिन फिल्म समारोह में दिखाई गई थी। इस तमिल फिल्म से पहले कन्नड़ में बनी ‘केमप्राइव’ (2017) के लिए वे कर्नाटक स्टेट फिल्म अवॉर्ड जीत चुके हैं। इसमें एक बुजुर्ग की कहानी है, जो रिटायरमेंट के बाद रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़कर अजीबो-गरीब हालात से गुजरता है। इसके कुछ कॉमेडी सीन हिन्दी की ‘खोसला का घोंसला’ की याद दिलाते हैं। फिल्म कन्नड़ के दिग्गज अभिनेता एच. जी. दत्तात्रेय की लाजवाब अदाकारी के लिए भी याद की जाती है, जो भारतीय वायुसेना को 20 साल सेवाएं (विंग कमांडर) देने के बाद फिल्मों में सक्रिय हुए। वे 200 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं।

बहरहाल, ‘द पेंटर’ में वेंकट भारद्वाज लॉकडाउन के मुख्तलिफ नजारे पेश करेंगे। एक तरफ मतलबपरस्ती, कालाबाजारी, जबरन वसूली और शोषण है तो दूसरी तरफ नेकी का समंदर भी, जिसमें इंसानियत टापुओं की तरह उभरती है। लॉकडाउन में एक वर्ग ने ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने’ की धज्जियां उड़ाते हुए जमकर मनमानी की। इस वर्ग के पास चिरागों का ढेर था, इसलिए उसे इससे कोई मतलब नहीं था कि रात कितनी लम्बी होगी और अंधेरे कितनों को बदहाल कर देंगे। ‘द पेंटर’ में इस वर्ग की भी खबर ली गई है।

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