वहीं लोकेश की तलाश को लेकर आगे की कोई रणनीति तैयार नहीं की गई। उल्लेखनीय है कि मुबारक का शव तीन दिन बाद बुधवार दोपहर राजमहल के पास बनास नदी के शीलाबारी दह के पानी में तैरता हुआ मिल गया, लेकिन निवाई निवासी लोकेश का शव 5 दिन गुजर जाने के बाद भी प्रशासन ढूंढ नहीं पाया।
शवों की तलाश को लेकर परिजन पिछले 5 दिनों से भूखे प्यासे कभी बीसलपुर बांध के पवित्र दह तो कभी बनास नदी के शीलाबारी दह तथा कभी राजमहल की रपट तो कभी नयागांव सतवाड़ा की ओर दिनभर तलाश करते रहे।
लोकेश के बड़े भाई मुकेश मीणा ने बताया कि वो पिछले 5 दिनों से बनास नदी तो कभी पवित्र दह के किनारे रिश्तेदारों के साथ लोकेश की तलाश कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से 5 दिन गुजर जाने के बाद भी सिवाय एसडीआरएफ की टीम व बीसलपुर चौकी के सिपाहियों के अलावा किसी ने उन्हें पूछा तक नहीं की।
यहां तक कि प्रशासन के नुमाइंदे बांध स्थल पर पहुंचकर मंदिर में दर्शन कर लौट जाते हैं। जैसे बांध के करीब कोई हादसा ही नहीं हुआ हो। इससे परिजन भी अब हताश होने लगे हैं। इधर, बनास में बहे दोनों युवकों को लेकर एसडीआरएफ की टीम बराबर बनास नदी में चक्कर लगा रही है।
उनके पास मोटर है, लेकिन इसके लिए पट्रोल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। टीम के कर्मचारी बार-बार पेट्रोल के लिए भटकते नजर आ रहे हैं। गुरुवार शाम टीम सदस्यों को समय पर पेट्रोल नहीं मिलने के कारण कई बार घंटो तक इंतजार करना पड़ा।
दुर्घटना से दे रहे दिलासा
5 दिन के बाद भी लोकेश का शव नहीं मिलने के साथ ही घर पर बार-बार पूछती लोकेश की मां प्रभाती देवी का हाल बुरा है। उन्हें रिश्तेदार दिलासा दे रहे हैं कि लोकेश के साथ दुर्घटना हो गई। जिसका चिकित्सालय में उपचार जारी है। शीघ्र ही लोकेश घर आ जाएगा ।