इसमें नमाजियों ने देश में अमन-चैन और कोरोना महामारी के खात्मे को लेकर दुआएं की। गत वर्ष भी नमाजियों ने कोरोना महामारी का प्रकोप होने पर रमजानुल मुबारक के समय लगे लॉक डाउन में दुआएं की थी। इस बार भी नमाजियों ने दुआएं की।
लोग रमजानुल मुबारक में इबादत में जुटे हुए हैं। इधर, ऐतिहासिक दारूलउलुम खलीलिया मदरसे के नाजिम सूफियान अहमद ने बताया कि हजरत अबू हुरैरा (रजि.) ने हुजूरे अक्रम सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम से नकल किया कि मेरी उम्मत को रमजान शरीफ के बारे में पांच चीजें मखसूस तौर पर दी गई है। जो पहली उम्मतों को नहीं मिली है। उनके मुहं की बदबू अल्लाह के नजदीक मुश्क से ज्यादा पसंदीदा है।
इनके लिए दरिया की मछलियां तक दुआ करती हैं और इफ्तार के वक्त तक करती रहती हैं। जन्नत हर रोज उनके लिए आरास्ता की जाती है। फिर हक तआला शानुहू फरमाते हैं कि करीब है कि मेरे नेक बंदे (दुनिया की) मशक्कतें अपने ऊपर से फेंक कर मेरी तरफ आएं। इसमें सरकश श्यातीन कैद कर दिए जाते हैं कि वे रमजान में उन बुराइयों की तरफ नहीं पहुंच सकते जिन की तरफ गैर रमजान में पहुंच सकते हैं।
रमजान की आखिरी रात में रोजेदार के लिए मग्फिरत की जाती है। सहाबा (रजि.) ने अर्ज किया कि यह शबे मग्फिरत शबे कद्र है। नबी सल्ल. ने इस हदीस पाक में पांच खुसूसियतें इर्शाद फरमाई है, जो इस उम्मत के लिए हक तआला शानुहू की तरफ से इनाम हुई है।