यही नहीं कई भवन जर्जर हो चुके हैं। दर्जनों आंगनबाड़ी केन्द्रों की छत बारिश में टपकती है, ऐसे में इन केंद्रों में काम करने वाली सेविका-सहायिकाओं को भी काम करने में परेशानी होती है। इनमें ऐसे कई आंगनबाड़ी केंद्र हैं जहां पानी व शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है।
वर्षों से आंगनबाड़ी केंद्र की मरम्मत नहीं होने के कारण भवन के प्लास्टर इत्यादि झडकऱ गिरते रहते हैं। कस्बे में स्थित पांच आंगनबाड़ी केन्द्रों में से तीन आंगनबाड़ी केन्द्र किराए के कच्चे मकान में संचालित हो रहे है।
पचेवर, आवड़ा, नगर, कुराड़, किरावल, चावण्डिया, बरोल, मलिकपुर, आंटोली, पारली, कचौलिया, देशमा ग्राम सहित अन्य ग्राम पंचायतों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुशीला देवी ने बताया कि कई बार इस समस्या को लेकर ग्राम पंचायत की बैठकों में विकास अधिकारी को लिखित में अवगत करवा दिया गया है, लेकिन इस समस्या को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भाड़े के रूप में प्रत्येक महीने मात्र पांच सौ रुपए दिए जाते हैं। मकान मालिकों द्वारा सेविकाओं पर अक्सर भाड़ा बढ़ाने इत्यादि का भी दबाव दिया जाता है। दर्जनों आंगनबाड़ी केन्द्र पर आवश्यक संसाधनों की कमी नजर आती है।
उपखण्ड की सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों के जर्जर भवन के साथ मूलभूत सुविधाओं के लिए जल्द ही सकारात्मक कदम उठाते हुए आंगनबाड़ी केन्द्रों पर विकास कार्य करवाए जाएंगे, जिन आंगनबाड़ी केन्द्रों के अपने भवन नहीं है, उनके लिए जल्दी ही प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा जाएगा। साथ ही इन समस्याओं के बारे में विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया जाएगा।
शबनम सिद्धिकी, कार्यवाहक सीडीपीओ, बाल विकास परियोजना कार्यालय मालपुरा