3 लाख पुस्तकों से बनाया था पुल
सैकड़ों वर्ष पूर्व बगदाद के डाकू हलाकू ने दजला दरिया पार करने के लिए वहां के पुस्तकालयों से करीब तीन लाख से अधिक अरबी और फारसी की पुस्तकों को दरिया में डाल दिया था।
बादशाह अकबर ने कराया था महाभारत का अनुवाद
मुल्क के बादशाह अकबर ने उन दिनों महाभारत का फारसी में अनुवाद कराया था। यह अनुवाद ताहिर मोहम्मद ने किया था।
असीम साहित्य उपलब्ध है
मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान एकमात्र सरकारी संस्थान है, जहां विशेष पुस्तकों, ग्रन्थों का संग्रह केन्द्र है। यहां सूफिज्म, उर्दू, अरबी एवं फारसी साहित्य, केटेलाग्स, यूनानी चिकित्सा, स्वानेह हयात (आत्म कथा), मध्य कालीन इतिहास, स्वतन्त्रता अभियान पर साहित्य, खत्ताती, रीमिया, कीमिया, सीमिया, दर्शन, तर्कशास्त्र, विधि शास्त्र, विज्ञान एवं शिकार आदि विषयों पर असीम साहित्य उपलब्ध है।
संस्थान दुर्लभ एवं अद्भुत साहित्य के लिए विश्व प्रसिद्ध है। हिस्टोरियोग्राफी, ओरियन्टोलोजी एवं इस्लामिक स्टडीज पर अमूल्य एवं दुर्लभ सामग्री भी यहां संग्रहित है। इनके कारण इसकी ख्याति अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर है। संस्थान में संधारित धरोहर में 8053 दुर्लभ हस्तलिखित ग्रन्थ, 27785 मुद्रित पुस्तकें , 10239 कदीम रसाइल, 674 फरामीन एवं भूतपूर्व रियासत टोंक के महकमा शरीअत के 65000 फैसलों की पत्रावलियों के अतिरिक्त हजारों अनमोल अभिलेख, प्रमाण-पत्र, तुगरे और वसलियां उपलब्ध हैं।
ऐसे हुई थी शुरुआत
बुनियादी तौर पर इस संस्थान की किताबों को टोंक रियासत के तीसरे शासक नवाब मोहम्मद अली खां ने एकत्र किया था। उन्हें तात्कालीन अंग्रेज सरकार ने बनारस भेज दिया था। नवाब मोहम्मद अली खां साहित्य के संग्रह एवं इसके अध्ययन में अत्यधिक रुचि रखते थे एवं मशरिकी उलूम के विद्वान थे।
कुरान देखने आते हैं लोग
दुनिया की सबसे बड़ी व वजनी कुरान मजीद भी टोंक में बनाई गई है। उसे अरबी-फारसी में लिखा गया है। सावा जिला चित्तौडगढ़़ निवासी मोहम्मद शेर खां की मारफत एपीआरआई के फारसी विभाग के अनुवादक मौलाना जमील अहमद के निर्देशन में हाफिज कारी गुलाम अहमद ने कुरान मजीद लिखी है। अब तक इस कुरान को 5 लाख लोग देख चुके हैं।
कार्य चल रहा है
संस्थान की गतिविधियों का विस्तार एवं आधुनिक युग के अनुसार संस्थान के हस्तलिखित ग्रन्थ एवं शराशरीफ रिकार्ड के डिजिटाइजेशन, प्रिजर्वेशन, कन्जर्वेशन कार्य को अमलीजामा पहनाने के लिए राज्य सरकार के निर्देशानुसार 24.00 करोड़ के प्रस्ताव स्वीकृत कराए हैं। – डॉ. सौलत अली खां
– निदेशक, मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक