ज्ञात रहे कि उपखंड क्षेत्र के दर्जन भर गांवों में बघेरों का खौफ दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी बघेरों के पकडऩे के लिए वन विभाग एक पिंजरे को रखकर इंतजार कर रहे है। बघेरे गांव नोहटा की पहाड़ी में बनी गुफा से निकल कर रात में मवेशियों, जंगली जानवरों, नील गाय और गांव में घूमने वाले श्वानों का आए दिन शिकार करते जा रहे है, लेकिन बघेरों को पकडऩे के लिए दो वर्ष में वन विभाग के अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई योजना नहीं बनाई गई।
जिससे लगातार बघेरों कुनबा बढ़ता ही जा रहा है। जिस पर वन विभाग का कोई ध्यान नहीं है।जबकि ग्रामीणों द्वारा कई बार वन विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों से बघेरों को पकडऩे के लिए लिखित व मौखिक शिकायत कर चुके है। बघेरे गुफा से निकलकर तालाब,नाडी व जलाशयों पानी आते है और उसी दौरान शिकार कर जाते है। करीब डेढ माह पूर्व गांव नोहटा में वार्ड पंच रामलाल चौधरी के घर के परिसर बंधे गाय के बछड़े का बघेरे शिकार कर दिया था।
क्षेत्रीय वन प्रसार अधिकारी दिनेश दोतानिया का कहना है कि बघेरों को पकडऩे के लिए गांव नोहटा में पिंजरा रखवाया हुआ है और पिंजरे में प्रतिदिन शिकार रखने के लिए वनपाल को निर्देश दिए गए है। साथ ही बघेरों को पकडऩे के लिए उच्चाधिकारियों को कई बार पत्र भेजकर अवगत करा दिया गया है।
चांदसेन में 17 बकरियों की मौत
मालपुरा .चांदसेन गांव में शुक्रवार व शनिवार को एक बाड़े में 17 बकरियों की मौत हो जाने से लोगों में भय है। चांदसेन गांव के सत्यनारायण सैनी के बाड़े में शुक्रवार को 12 बकरियों की मौत हो जाने एवं शनिवार सुबह पांच बकरियों की मौत हो गई। केन्द्रीय भेड एवं ऊन अनुंसधान संस्थान अविकानगर के निदेशक डॉ. अरुण कुमार तोमर को मामले की जानकारी मिलते ही संस्थान के पशु स्वास्थ्य विज्ञान प्रभारी डॉ. सीताराम शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक जे.पांडियन पीडि़त के घर पहुंचे तथा जांच कर शेष बची बकरियों का उपचार शुरु किया।