वही गेहूं की फसल में अंतिम सिंचाई कार्य लगभग पूर्ण होने के कगार पर पहुंचने के कारण बांध की दोनों नहरों से पानी की निकासी आगामी 10 मार्च तक बंद करने की तैयारी कर ली गई है। बांध परियोजना के सहायक अभियंता ब्रह्मानन्द बैरवा ने बताया कि अभी बांध की दायीं मुख्य नहर से सिंचाई के लिए 725 क्यूसेक व बायीं मुख्य नहर में 70 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
सिंचाई के लिए कुल 8 टीएमसी पानी आरक्षित है, जिसमें से अब तक लगभग छह टीएमसी से अधिक पानी सिंचाई के लिए छोड़ा जा चुका है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष मानसून की मेहरबानी के चलते बांध का गेज पूर्ण जलभराव 315.50 आर एल मीटर होकर छलकने के कारण गत 20 नवम्बर को बायीं मुख्य नहर व 21 नवम्बर को दायीं मुख्य नहर में सिंचाई के पानी छोडऩे की शुरुआत की गई थी।
सहायक अभियंता श्रीपथ सोलंकी ने बताया कि बांध का गेज रविवार सुबह 314.40 आरएल मीटर दर्ज किया गया था जो एक सेमी की कमी के साथ ही सोमवार सुबह 6 बजे तक 314.39 आर एल मीटर दर्ज किया गया है। सोलंकी ने बताया कि पहले बांध का गेज अधिक होने व सर्दी के कारण बांध से रोजाना पेयजल व सिंचाई के दौरान एक सेमी पानी की कमी हो रही थी वही अब प्रति दो दिन में तीन सेमी पानी की कमी होने लगी है।