लोगों को इससे होने वाली परेशानियों से मुक्ति का दावा 50 दिन का किया गया, लेकिन सालभर बाद भी लोग परेशान हैं। नोटबंदी से आतंकवाद पर अंकुश लगा ना ही कालाधन सरकार के खजाने में आया। बल्कि देशभर के बाजार की अर्थव्यवस्था बिगड़ गई। ऐसे में ये कदम लोगों के लिए नुकसानदायक हुआ।
घंटे एटीएम के बाहर लोग खड़े रहे। इससे देशभर में करीब 100 लागों की मौत हो गई। प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि सरकार ने नए नोट छापने पर 21 हजार करोड़ रुपए खर्च किए। जबकि बंद किए गए 45.4 लाख करोड़ में से 16 हजार करोड़ यानी महज एक प्रतिशत भी बैंकों में वापस नहीं आए। इससे बड़ी राशि व्यय हो गई। उन्होंने कहा कि सरकार ने आतकंवाद पर अंकुश लगाने का दावा किया था, लेकिन नवम्बर 2016 से अगस्त 2017 तक इसमें 33 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
साथ ही देश में महंगाई बढ़ सो अलग। बैठक में प्रदेश महामंत्री भरोसीलाल जाटव ने भी सम्बोधित किया। इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए शहर के बाजारों से होते हुए कलक्टे्रट में एकत्र हुए और ज्ञापन सौंपा।
जिलाध्यक्ष रामबिलास चौधरी के नेतृत्व में प्रभारी मंजू शर्मा, पूर्व विधायक कमल बैरवा, मोइन निजाम, कार्यालय महासचिव शकीलुर्रहमान, शिवपाल, युसूफ यूनिवर्सल, शिवजीराम मीणा, कैलाशीदेवी, रामलाल गुर्जर, रामलाल सेलीवान, महिला जिलाध्यक्ष जेबा खान, जर्रार, इम्तियाज, गिर्राज मेहंदवास, सुनील बंसल, दिनेश चौरासिया, कुलदीपसिंह, ओसाफ, नईमुद्दीन,
धर्मेन्द्र सालोदिया, अनुराग थे।