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टोंक

पुस्तकें न शिक्षक, फिर भी हर साल मिल रहे नम्बर, प्रदेश के 9वीं व 10वीं के 12 लाख विद्यार्थियों के हाथों तक नहीं पहुंची किताबें

माध्यमिक समेत प्रारम्भिक विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र शुरू हुए एक माह से अधिक का समय बीत चुका, लेकिन अभी भी विद्यार्थियों को कला शिक्षा की पुस्तकों का वितरण नहीं किया जा सका।
 

टोंकJul 22, 2018 / 08:48 am

pawan sharma

art teacher

टोंक. प्रदेश के विद्यालयों में कला शिक्षक है ना ही किताबें। बावजूद बिन पढ़ाए विद्यार्थी कला शिक्षा की परीक्षा में शामिल हो रहे हैं।

टोंक. प्रदेश के विद्यालयों में कला शिक्षक है ना ही किताबें। बावजूद बिन पढ़ाए विद्यार्थी कला शिक्षा की परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। चौकाने वाली बात है कि बिना पढ़ाई के ही प्रत्येक साल लाखों विद्यार्थियों को कला शिक्षा में मूल्यांकन कर नम्बर ग्रेडिंग तक दी जा रही है।
जबकि वर्ष 1992 से माध्यमिक स्तर तक कला शिक्षा को अनिवार्य विषय घोषित किया हुआ है। अनिवार्यता के बावजूद स्कूलों में कला विषय की पढ़ाई ही कराई जा रही ना ही प्रदेश के नवीं व दसवी के 12 लाख विद्यार्थियोंं के हाथों तक इस बार भी किताबें ही पहुंची।
माध्यमिक समेत प्रारम्भिक विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र शुरू हुए एक माह से अधिक का समय बीत चुका, लेकिन अभी भी विद्यार्थियों को कला शिक्षा की पुस्तकों का वितरण नहीं किया जा सका।

उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग की ओर से जिले के सरकारी विद्यालयों में पढऩे वाले पहली से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों को नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकोंं का वितरण किया जाता है।
नोडल केन्द्रों के माध्यम से जिले के सभी विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को जुलाई के प्रथम सप्ताह तक किताबों का वितरण किया जाना आवश्यक है।

यूं जरूरी है कला शिक्षा
कला शिक्षा विद्यार्थियों के रचनात्मक, सृजनात्मक व शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक तनाव से दूर आनंद की शिक्षा प्रदान करती है। शिक्षाविदों का भी मानना है कि विद्यार्थी चित्रों के माध्यम से जल्द सीखते हैं। इसके अलावा कला शिक्षा बच्चों को हिंसक होने से भी रोकती है।
प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में सत्र 2016-17 में नवीं व दसवीं में 12,03666 विद्यार्थी नामांकित थे। जबकि 2017-2018 में 11,75418 विद्यार्थियों ने अध्ययन किया।

वर्तमान में सत्र 2018-19 में 12 लाख से अधिक नवीं व दसवीं के विद्यार्थियों को कला शिक्षा की पुस्तकें मिलने का इंतजार है। जिले में पहली से आठवीं तक एक लाख 16 हजार 156 नामांकित विद्यार्थी हंै। जबकि जिले के राजकीय विद्यालयों में नवीं व दसवीं में 22 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हंै।
बोर्ड परीक्षाओं में भी यही खेल

राष्ट्रीय शिक्षा नीति व राज्य शिक्षा नीति के मापदण्डों के मुताबिक प्रारम्भिक व माध्यमिक स्तर पर चित्रकला, संगीत मिलाकर कला शिक्षा विषय के रूप में अनिवार्य किया गया है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम 2005 के अनुसार कक्षा 6 से 10 तक अनिवार्य कला शिक्षा विषय का शिक्षण कला शिक्षकों से ही कराया जाना चाहिए।
जबकि प्रदेश के राजकीय विद्यालयों मे प्रारम्भिक व माध्यमिक स्तर पर नामांकित विद्यार्थियों के पास कला शिक्षा की पुस्तकें है ना शिक्षक। चालू सत्र में भी ऐसा ही होने वाला है कि विद्यार्थियों को बिन किताबें व शिक्षकों के परीक्षा में शामिल होना होगा।
जिले में नवीं कक्षा के नौ हजार व दसवीं के सात हजार सेट पुस्तकें के मंगवाएं गए है। जबकि डिमाण्ड नहीं आने से कला शिक्षा की पुस्तकें नहीं मंगवाई गई।
नवीन मालाकड़, प्रभारी पाठ्यपुस्तक मण्डल टोंक।

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