अधिकारी उलझे हैं लॉकडाउन की पालना में
जिले के अधिकारी कोरोना के लॉकडाउन की पालना और लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए कार्य योजना तैयार कर उन्हें अमली जामा पहना रहे हैं। इसके चलते मनरेगा कार्य की ठीक प्रकार से मॉनीटिरिंग नहीं हो पा रही और कार्य मनमर्जी से किए जा रहे हैं। इन दिनों एक लाख 18 हजार 402 श्रमिक मनरेगा में कार्य कर रहे हैं।
जिला परिषद की ओर से जिले में चार हजार 473 कार्य स्वीकृत किए हैं। वहीं जिले में 230 कार्य चल रहे हैं। नियमों के तहत मनरेगा कार्य में बेहद जरूरी छाया, पानी और प्राथमिक चिकित्सा है, लेकिन अधिकांश जगह पर छाया की व्यवस्था ही नहीं है। मेट श्रमिकों को प्रति दिन का कार्य सौंप कर लंच में पेड़ की छाया में बैठने का इशारा कर देता है। जबकि कार्य स्थल पर धूप से बचने के लिए टैंट की व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसा कहीं नजर नहीं आ रहा है।
यह होते हैं कार्य
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में 100 दिन का कार्य श्रमिक को दिया जाता है। इसमें जल संरक्षण, सूखे की रोकथाम के लिए वृक्षारोपण, बाढ़ नियंत्रण, भूमि विकास, विभिन्न तरह के आवास निर्माण, लघु सिंचाई, बागवानी, ग्रामीण सम्पर्क सड़क मार्ग निर्माण समेत अन्य कार्य किए जाते हैं। जिले में ज्यादातर तालाब व नाड़ी समेत सड़क निर्माण कार्य होते हैं।
ग्राम विकास अधिकारी के भरोसे
ग्रामीण क्षेत्र में चल रहे मनरेगा कार्य ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी के भरोसे चल रहा है। इन दिनों मनरेगा का निरीक्षण ग्राम विकास अधिकारी ही कर रहे हैं। जबकि मनरेगा का कार्य मेट कराता है। अक्सर गांव में मनरेगा का मेट ग्राम विकास अधिकारी के सम्पर्क में रहता है। ऐसे में कार्य कितना और कितने समय तक हुआ इसकी मॉनीटिरिंग किसी अधिकारी की अपेक्षा मेट के भरोसे ही चल रही है। जबकि कार्य का मेजरमेंट पंचायत के अभियंता तथा अन्य अधिकारियों से होता है।
फैक्ट फाइल
स्वीकृत कार्य- 4473
चल रहे हैं कार्य- 230
श्रमिक- 22799
जिले में उपखण्ड – 07
सुविधा- टैंट, पानी, प्राथमिक चिकित्सा इतने स्वीकृत किए हैं कार्य
देवली- 1138
मालपुरा- 752
निवाई- 644
टोडारायसिंह- 483
टोंक- 710
उनियारा- 746 यहां चल रहे हैं इतने कार्य
देवली- 39
मालपुरा- 36
निवाई- 41
टोडारायसिंह- 31
टोंक- 50
उनियारा- 33
देवली- 3043
मालपुरा- 4798
निवाई- 4090
टोडारायसिंह- 3088
टोंक- 4851
उनियारा- 2929 सुविधा तो होनी चाहिए
मनरेगा कार्य में मुख्य रूप से छाया-पानी की सुविधा तो होनी ही चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा नहीं होना गलत है। जानकारी ली जाएगी।
– एम. एल. मीना, अधिशासी अभियंता मनरेगा, जिला परिषद टोंक