टोंक

कैप्टन की पुस्तक ‘परम संतुष्टि’ का विमोचन कल, पाकिस्तान से हुए युद्ध में दिखाई थी वीरता

वर्ष1965 में पाकिस्तान खिलाफ हुए युद्ध में कैप्टन के पद पर देश को सेवाएं देने वाले कैप्टन मोहम्मद शमशेर खान शाहीन की पुस्तक ‘परम संतुष्टि’ का लोकार्पण समारोह सआदत बाग कोठी पक्का बंधा में शुक्रवार शाम साढ़े 4 बजे होगा।

टोंकFeb 20, 2020 / 10:09 am

pawan sharma

कैप्टन की पुस्तक ‘परम संतुष्टि’ का विमोचन कल, पाकिस्तान से हुए युद्ध में दिखाई थी वीरता

टोंक. वर्ष1965 में पाकिस्तान खिलाफ हुए युद्ध में कैप्टन के पद पर देश को सेवाएं देने वाले कैप्टन मोहम्मद शमशेर खान शाहीन की पुस्तक ‘परम संतुष्टि’ का लोकार्पण समारोह सआदत बाग कोठी पक्का बंधा में शुक्रवार शाम साढ़े 4 बजे होगा। शाहीन भारतीय सेना की पैराशूट रेजीमेंट में कैप्टन के पद पर थे। पाकिस्तान के विरुद्ध सन 196 5 की जंग तथा कच्छ के नाम से प्रसिद्ध पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध में भी शमशेर खान ने वीरता का परिचय दिया था।
मूल रूप से टोंक के रहने वाले कैप्टन मोहम्मद शमशेर खान शाहीन की रुचि बचपन से ही साहित्य लेखन में रही। उनके साहित्य के लेखन को देश के जाने माने प्रसिद्ध गायकों व कव्वालों ने अपनी आवाज से नवाजा। इनमें साबरी ब्रदर्स, सलीम शहजाद हुसैन बंधु आदि गायक व कव्वालों ने शाहीन के कलाम को अपने अंदाज में पेश किया है।
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन हाल में आयोजित पत्रकार वार्ता में कैप्टन शमशेर शाहीन ने बताया कि पुस्तक ‘परम संतुष्टि’ का लोकार्पण समारोह सआदत बाग कोठी में होगा। इसमें मुख्य अतिथि नौसेना के पूर्व अध्यक्ष एडमिरल माधवेंद्र सिंह शामिल होंगे। समारोह में देश के सेना अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारियों सहित साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखने वाले व्यक्ति आएंगे।
गौरतलब हैकि कैप्टन शमशेर शाहीन ने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर काम किया है, जिसमें मनबत, गजल, नज्म, कव्वालियां, चाहरबैत, गीत, कह मुकरनिया, डुमरिया आदि शामिल हैं। शमशेर शाहीन ने बताया कि राष्ट्रभाषा हिंदी को वे अत्यधिक सम्मान देते हैं और उर्दू उनके पारिवारिक संस्कार में रही है।
उनका मानना है कि उर्दू तो उनके परिवार के चलन में है, लेकिन हिंदी के प्रेम के प्रति आस्था को व्यक्त करने के लिए उन्होंने सर्वप्रथम हिंदी कविता संग्रह की पुस्तक परम संतुष्टि को सार्वजनिक करने का फैसला किया है। पुस्तक में सूफियाना कलाम, दोहे डुमरिया, कह-मुकरियां, मांड गायकी आदि को समाहित किया गया है।

शमशेर शाहीन ने बताया कि बादशाह अकबर की चांद बीबी का मशहूर सुप्रसिद्ध दोहा ‘कागा सब तन खाइयो चुन चुन खाइयो मांस’ से प्रेरणा लेकर उन्होंने ‘चोंच में धर ले जाइयो, नैन मोरे पी पास, पी को देख बुझाई लूं जब नैनन की प्यास’ लिखी।

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