scriptदेवी दर्शन: आस्था का केन्द्र बना चावण्ड माता मंदिर | Chawand Mata Temple becomes center of faith | Patrika News

देवी दर्शन: आस्था का केन्द्र बना चावण्ड माता मंदिर

locationटोंकPublished: Oct 23, 2020 08:46:21 am

Submitted by:

pawan sharma

देवी दर्शन: आस्था का केन्द्र बना चावण्ड माता मंदिर

देवी दर्शन: आस्था का केन्द्र बना चावण्ड माता मंदिर

देवी दर्शन: आस्था का केन्द्र बना चावण्ड माता मंदिर

टोडारायसिंह के मोर गांव में चोरों के आने पर कभी चावण्ड माताजी लोगों को आवाज देकर जगाती थी, अब विरान जंगलों में स्थित चावण्ड माताजी का मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए आस्था का केन्द्र बन गया है। मोर गांव से करीब डेढ़किमी. दूर स्थित करीब तीन सौ वर्ष पुरानी चमत्कारिक चावण्ड माता की प्रतिमा के दर्शनार्थ नवरात्रों में ही नहीं, अनवरत श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

क्षेत्रवासियों की मान्यता है कि माता के मंदिर में श्रद्धा से मांगने पर जरूर मन्नत पूरी होती है। इसी कारण आए दिन मंदिर परिसर में सवामणि व अन्य धार्मिक कार्यक्रम होते रहते है। पुजारी कैलाश सैनी ने बताया कि करीब तीन सौ वर्ष पहले चावण्ड माता की प्रतिमा मोर गांव के तालाब मध्य स्थित बगरू(टीला)पर स्थापित थी।
बुजुर्ग ग्रामीणों का कहना है कि ं तात्कालीन समय में गांव में चोरो के आने पर चमत्कारिक प्रतिमा चामुण्डा मां आवाज देकर ग्रामीणों को जगाती थी। इससे चोरों को असफलता मिलती थी। इसी से परेशान, चोरों ने एक दिन योजनाबद्ध होकर बगरू से माता की प्रतिमा को उठाकर गांव से दूर ले जाने लगे।
माता के आवाज लगाने पर राजपूत, गोस्वामी, दाधीच ब्राह्मण व गुर्जर समुदाय के प्रतिष्ठित व्यक्ति हथियार लिए चोरों का पीछा किया। गांव से करीब डेढ़ किमी. दूर पथराज रोड पर चोरो से मुकाबला हुआ। जहां चोर चावण्ड माता की प्रतिमा को छोडकऱ भाग छूटे। तब से चावण्ड माता का मंदिर लोगो के लिए चमत्कारिक व आस्था का केन्द्र बन गया है। जहां वर्तमान में भव्य मंदिर व धर्मशाला का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

वीरान जंगल में है चामुंड़ा माता का मंदिर
पीपलू (रा.क.). पीपलू तहसील के ग्राम कठमाणा का प्राचीन एवं ऐतिहासिक चामुंड़ा माता के मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र है। यहां वर्ष भर माता के दर्शन करने पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के कारण चहल पहल बनी रहती है। कठमाणा के मेवा गुर्जर ने बताया माता के मंदिर में नवरात्रों में सुख समृद्धि शांति की कामना को लेकर आसपास दूरदराज के भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
इस बार वैश्विक महामारी कोरोना के चलते मंदिर में कम संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। श्रद्धालु हाथों में घी, मठड़ी, प्रसाद, नारियल, अगरबती आदि लेकर मां की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचे हैं, जिन्हें सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक मां के दरबार में पूजा अर्चना कराते हुए दर्शन कराए जा रहे हैं। कई श्रद्धालु समूह बनाकर मां के दरबार में लोक गीतों की प्रस्तुतियां देकर मनौती कर रहे हैं।
नवरात्रों में मंदिर में नवान्ह रामायण, भजन कीर्तन, सत्संग, रात्रि जागरण, अनुष्ठान के धार्मिक आयोजन शुरू हुए हैं। हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते यहां लगने वाला चतुर्दशी का एक दिवसीय मेला स्थगित किया गया है। मनौती पूर्ण होने पर श्रद्धालु जडूले उतारने, जात ढोकने, सवामणी करने, ध्वजपताका चढ़ाने पहुंचते है तथा कई हवन पूजन, महाप्रसादी के आयोजन भी करते हैं।
चामुंड़ा मंदिर परकोटे के प्रवेश द्वार पर पांच फीट ऊंची निराला हनुमान की प्रतिमा सुशोभित है। मंदिर में कुएं की खुदाई के दौरान 45 वर्ष पूर्व भूगर्भ से शिवनन्दी की प्रतिमा सहित कई प्राचीन अवशेष मिले थे, जो इस बात को इंगित करते है कि यहां पहले कोई नगरी बसी हुई थी, जो बाद में लुप्त हो गई। मंदिर परिसर के एक चबूतरे पर शीतला माता तथा दूसरे चबूतरे पर काल भैरवनाथ की प्रतिमाएं विराजित हैं।
मंदिर में वर्षों से अखंड़ ज्योत जल रही है। इस स्थान पर टोंक व जयपुर जिले के ग्रामीण अंचल के श्रद्धालुओं के दर्शन मनौती करने पहुंचने से दो जिलों की अध्यात्म संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।फोटो 2110 सी11: पीपलू। कठमाणा चामुंडा माता मंदिर की सजाई गई झांकी।

ट्रेंडिंग वीडियो