वहीं शहर की प्रमुख हृदय स्थली सुभाष सर्किल पर नगरपालिका कार्यालय के सामने ही लगने वाले बेतरतीब ठेले व निजी गाडिय़ां जहां सर्किल के चारों ओर जाम की स्थित पैदा कर रहे है। शहर की सुन्दरता को चार चंाद लगाने के लिए नगरपालिका की ओर से सुभाष सर्किल का जीर्णोद्धार कर उसका नवनिर्माण करवाया गया तथा लाखों रुपए की लागत से स्वचालित रंगीन फव्वारे लगाए गए।
व्यास सर्किल, पीनणी मोड़ सहित प्रमुख आठ स्थलों पर हाई मास्क लाइटें लगाकर रोशनी की व्यवस्था की गई। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जाने वाले मार्ग के तिराहे पर लाखों रुपए की लागत से वीर सावरकर सर्किल का निर्माण कर रंगीन फव्वारों की व्यवस्था की गई।
लेकिन पालिका की उदासीनता के चलते उद्घाटन के बाद से फव्वारें बंद पड़े है। हाई मास्क लाइटें भी कभी-कभी जलती है सुभाष सर्किल पर दोपहर में सब्जी व फल-फ्रुट के ठेलों के लगने व निजी वाहनों के जमावड़े से सर्किल के पास से निकलना ही दूभर हो जाता है।
सुभाष सर्किल पर स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रवेश द्वार पर ठेलों वालों के खड़े होने से बालिकाओं को विद्यालय के अंदर व बाहर निकलने में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। सुभाष सर्किल पर ही नगरपालिका का कार्यालय स्थित है।
अधिकारी व कर्मचारी पालिका कार्यालय में आते है तथा अव्यवस्थाओं को नजर अंदाज करते हुए निकल जाते है। गांधी पार्क से पुराने अस्पताल मार्ग पर सब्जी बेचने वाली महिलाओं की लम्बी लाइन लगी रहती है, इससे इस मार्ग पर दोपहर में चौपहिया वाहन लेकर निकलना मुश्किल बना हुआ है।
शहर में तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी के प्रयासों से मुख्य बाजार की दुकानों व मकानों के बाहर से फुटपाथों को हटाकर मार्ग को चौड़ा किया गया लेकिन दुकानों व मकानों के बाहर मोटरसाइकिलों व दुपहिया वाहनों के खड़ा रहने से मार्ग संकरा हो जाता है।
यातायातकर्मियों का अभाव शहर में व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस विभाग की ओर से सिटी मोबाईल की व्यवस्था की गई है लेकिन पुलिसकर्मियों की लापरवाही व कार्य के प्रति उदासीनता के चलते जगह-जगह अव्यवस्थाएं बनी रहती है। पूर्व में प्रमुख स्थलों पर यातायात कर्मियों की नियुक्ति की गई थी लेकिन पुलिस विभाग द्वारा सभी स्थानों से यातायात कर्मियों को हटा दिया गया है।