खिड़कियों की जालियां व दरवाजे भी लोग खोलकर ले गए हैं। भवन की चार दीवारी भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो रही है। अश्लील व अन्य शब्दों का इस्तेमाल कर दीवारों को बदरंग कर दिया है। भवन में प्रवेश के लिए मुख्य द्वार पर लगे लोहे के गेट का एक हिस्सा भी समाजकंटक खोलकर ले गए। इस कारण भवन के परिसर में आवारा पशुओं को जमावड़ा बना रहता है। भवन में बने कमरों के दरवाजे टूट कर खराब हो चुके है।
रात को यहां पर गैरकानूनी काम किए जा रहे है। हाइवे के पास होने के कारण समाजकंटक यहां आकर बैठे रहते है। भवन की चार दिवारी पर गोबर के कंड़े सुखाए जा रहे है। हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में निवास करने वाले परिवारों में शादी-समारोह, धार्मिक आयोजन व अन्य कार्यक्रमों के लिए अन्य स्थान किराए पर लेना पड़ता है।
भवन की मरम्मत करवाकर सुविधाओं युक्त बना दिया जाए तो विभाग के लिए यह आय का जरिया तो बनेगा ही, साथ ही लोगों को यही पर आयोजनों के लिए कम कीमत में जगह उपल्ब्ध होने से सुविधा आर्थिक बचत भी होगी। जिम्मेदरों को चाहिए कि वो इस ओर ध्यान दे ओर इसकी मरम्मत व सार संभाल करे। नही तो कुछ ही समय में भवन गिर भी सकता है।
छह पार्क, बैठने लायक एक भी नहीं कहने को तो हाउसिंग बोर्ड शहर की वीआईपी कॉलोनियों में शामिल है, लेकिन यहां पर स्थित पार्कों की देखरेख के अभाव बदहाल हो रही हैै। कॉलोनी में करीब आधा दर्जन पार्क बनाए गए है, लेकिन इनमें हरियाली के नाम पर मात्र सूखी घास है। हाउसिंग बोर्ड ने शुरुआत में सडक़ें, सीवरेज व घूमने के लिये पार्क जैसे सपने दिखाए थे, लेकिन इन पार्कों को विकसित करने की आज तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है।
नतीजन यह पार्क आवारा पशु व समाजकंटकों की शरण स्थली बने हुए है। ऐसे हालातों में कॉलोनी वासियों को न तो स्वच्छ हवा मिल रही न ही हरियाली दिखाई दे रही है। हाउसिंग बोर्ड घूमने के लिए न तो हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कोई पार्क है न ही ऐसी कोई जगह, जहां शाम को परिवार सहित कुछ घंटे बैठ करके स्वच्छ हवा ली जा सके। वैसे तो कॉलोनी में पार्क बने हुए है, लेकिन विकसित एक भी नहीं है।