वहीं निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदार भी जैसे-तैसे चला रहे हैं। दरअसल गत दिनों न्यायालय के आदेश के बाद बजरी दोहन व विक्रय पर रोक लग गई। पालिकाकर्मियों ने बताया कि बजरी नहीं मिलने से शहर में विभिन्न स्थानों पर चल रहे सीसी रोड निर्माण, नाली व नाले निर्माण का कार्य रुक गए।
वहीं आधा दर्जन से अधिक कार्यों के आदेश होने के बावजूद ठेेकेदार उन्हें शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इनमें तेली मोहल्ले में बनाई जा रही सीसी सडक़ भी शामिल है। उक्त सडक़ गत दिनों खोदी जा चुकी है, लेकिन बजरी नहीं मिलने के चलते सडक़ ज्यों की त्योंं खुदी पड़ी है
इधर, बजरी पर रोक के बावजूद बजरी की कालाबाजारी हो रही है, लेकिन 1500 रुपए में बिकने वाली बजरी से भरी ट्रॉली इन दिनों 2500 से 3000 हजार रुपए में बिक रही है। इससे ठेकेदारों को अतिरिक्त नुकसान हो रहा है।
इस सम्बन्ध में पालिकाध्यक्ष रेखा जैन का कहना है कि बजरी की अनुपलब्धता से निर्माण कार्यों की गति प्रभावित हो रही है। कई कार्य निर्माण स्वीकृति मिलने के बावजूद शुरू नहीं हो पा रहे हैं।
अंधेरे में हो रहा अवैध बजरी खनन
दूनी. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बनास नदी में बजरी खनन पर भले ही रोक लग गई हो, लेकिन खनिज विभाग की अनदेखी से क्षेत्र में रात के अंधेरे में अवैध तरीके से बजरी का खनन किया जा रहा है। हालांकि सरकारी भवनों के निर्माण के लिए बजरी उपलब्ध नहीं कराई जा रही, लेकिन निजी आवास के लिए बजरी दो से तीन गुना राशि पर आसानी से मिल रही है।
कस्बे में तहसील भवन सहित डेढ़ दर्जन ग्राम पंचायतों में बजरी के अभाव में निर्माण कार्य बन्द हैं। रात के समय में बनास नदी से बजरी कस्बे के अलावा नैनवां, बूंदी, अलोद, बून्दी का गोठड़ा तक भेजी जा रही है। ऐसे वाहन दूनी व घाड़ थाने के सामने से निकलते हैं, लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। इससे लोगों को परेशानियां भी हो रही है।
ढाई गुना बढ़ गई कीमत
बजरी खनन बन्द होने के बाद माफिया हरकत में आ गए। वे ढाई गुना दो से पांच हजार रुपए प्रति ट्रॉली के हिसाब से बजरी बेच रहेहैं। जबकि पूर्व में बजरी से भरी ट्रॉली 1200 रुपए में मिल जाती थी।
बजरी खनन बन्द होने के बाद माफिया हरकत में आ गए। वे ढाई गुना दो से पांच हजार रुपए प्रति ट्रॉली के हिसाब से बजरी बेच रहेहैं। जबकि पूर्व में बजरी से भरी ट्रॉली 1200 रुपए में मिल जाती थी।