हालत यह है कि जानलेवा हो रहे स्वाइन फ्लू के आइसोलेशन वार्ड का पिछले कई महीनों से ताला भी नहीं खुला है। जबकि जनवरी माह से अब तक 18 स्वाइन फ्लू के रोगी सामने आ चुके है। इन रोगियों में से टोंक व
जयपुर सहित विभिन्न स्थानों पर पांच जनों की मौत हो चुकी है।
सआदत अस्पताल में मरीजों में प्रथम दृष्टया स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए जाने पर सेम्पल लेकर जयपुर भेजा जा रहा है। इसके बाद जयपुर से फोन पर संबंधित रोगी को सूचना की जा रही है। वहीं पॉजीटिव होने के बाद भी अस्पताल में स्वाइन फ्लू आइसोलेशन वार्ड के ताले तक नहीं खोले गए।
साथ रोग से संबंधित प्रशिक्षित स्टाफ व अन्य संसाधनों का भी अभाव है।
तीन वर्ष पहले मरीजों की जांच रिपोर्ट में स्वाइन-फ्लू संक्रमित रोगियों के मामले सामने आए थे। इसको लेकर अस्पताल प्रशासन ने ट्रोमा सेन्टर को आईसोलेशन वार्ड में बदलकर अतिरिक्त चिकित्साकर्मियों को नियुक्त किया था। इसके कुछ दिनों बाद ही संक्रमित रोगियों के नहीं आने पर स्वाइन-फ्लू वार्ड में ताला लगा दिया गया है और इन चिकित्साकर्मियों को भी अन्य कार्यों में लगा दिया।
स्वाइन फ्लू का खतरा लगातार गहराने के बावजूद सआदत अस्पताल के चिकित्साकर्मियों के पास मास्क तक नहीं है। विभाग के दावे कागजी साबित हो रहे है। खांसी, जुकाम, बुखार समेत स्वाइन फ्लू से आशंकित मरीजों के नमूने लेने में बरती जा रही लापरवाही से चिकित्साकर्मियों के स्वाइन फ्लू की चपेट में आने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
नहीं रुक रहे मरीज
स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने के बाद रोगी यहां रूक ही नहीं रहे है। ऐसे में ताला खोले जाने की स्थिति ही नहीं आई।
जे. पी. सालोदिया, प्रमुख चिकित्साधिकारी सआदत अस्पताल टोंक।