यही स्थिति जिले के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की रही। दूरदराज से आए मरीज तड़पते रहे। बिना परामर्श भर्ती हो पाए ना ही भर्ती मरीजों की छुट्टी हो सकी। नर्सेज ने भी भर्ती मरीजों को चल रही दवा देकर ही काम चलाया। कई मरीज बिना छुट्टी कराए ही घरों को लौट गए। आईसीयू में भर्ती मरीजों की सांसे भी नर्सेज के भरोसे रही।
दूसरी ओर निजी अस्पतालों में मरीजों का भीड़ रही। चिकित्सक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र खींची के मुताबिक 33 मांगों के निराकरण की मांग चिकित्सक लम्बे समय से करते आ रहे है। इनमें एकल पारी में चिकित्सालय संचालित करने, चिकित्सकों को सुरक्षा, समयबद्ध पदोन्नति, मेडिकल सर्विस कैडर बनाने आदि शामिल हैं।
इन मांगों को लेकर गत दिनों सरकार व चिकत्सकों के बीच समझौता भी हुआ, लेकिन सरकार इसका क्रियान्वयन करना तो दूर दमनात्मक कार्रवाई पर तुली है। ऐसे में चिकित्सकों में नाराजगी है। विरोध स्वरूप जिले के चिकित्सक एक दिवसीय अवकाश पर रहे। इससे पहले वे अस्पताल परिसर में टैंट लगाकर परामर्श दे रहे थे।
बदहाल व्यवस्था, नहीं मिली चिकित्सा
मरीजों को परामर्श देने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक अस्पताल नहीं आए, लेकिन कई चिकित्सक अपने घरों पर भी नहीं मिले। इससे दूरदराज से आए मरीजों को निराश लौटना पड़ा। कई को तो उन्हें नीम-हकीमों या निजी अस्पताल का सहारा लेना पड़ा।
बीसीएमएचओ ने किया उपचार
उनियारा. चिकित्सकोंं की एक दिवसीय हड़ताल को देखते हुए शुक्रवार को बीसीएमएचओ इश्हाक मोहम्मद ने शहर समेत आसपास के गांवों से आए मरीजों को परामर्श दिया। इस बीच अस्पताल में लगे तीनों चिकित्सक अवकाश पर रहे। हालांकि अन्य दिनों के स्थान पर शुक्रवार को मरीजों का आंकड़ा कम रहा।
उपखण्ड अधिकारी कैलाशचंद गुर्जर ने भी सुबह अस्पताल पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने नर्सेज से बात कर मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
प्रसूताएं भी नर्सेज के भरोसे
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल मेंं भी प्रसूताएं भगवान भरोसे रही। भर्ती मासूम भी नर्सेज के हवाले रहे। प्रसूती रोग विशेषज्ञों के अवकाश पर रहने से आउटडोर भी कम रहा। जटिल व अन्य ऑपरेशन टाल दिए गए। खाली पड़ी कुर्सियां देख कई मरीज निजी अस्पतालों में चले गए।