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किसान के आत्महत्या करने पर कर्ज माफी और सरकारी नौकरी की रखी मांग, किसान महापंचायत ने सीएम के नाम एसडीओ को सौंपा ज्ञापन

locationटोंकPublished: May 28, 2019 12:35:06 pm

Submitted by:

pawan sharma

ऐसा नहीं करने पर आगामी सप्ताह में किसान आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है।
 

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किसान के आत्महत्या करने पर कर्ज माफी और सरकारी नौकरी की रखी मांग, किसान महापंचायत ने सीएम के नाम एसडीओ को सौंपा ज्ञापन

टोडारायसिंह. कर्ज में डूबे किसान के आत्महत्या करने को लेकर यहां किसानों ने मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री के नाम उपखण्ड अधिकारी डॉ. सूरजसिंह नेगी को ज्ञापन सौंपकर सम्पूर्ण कर्ज माफ करने तथा पीडि़त परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की।
किसान नेता रतन खोखर की अगुवाई में दिए ज्ञापन में बताया कि गत 25 मई को निवारिया (देवली) निवासी बालूराम पुत्र जगराम मीणा के आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने बताया कि फसल खराबा होने तथा अकाल की स्थिति के बीच फसल पैदावार नहीं होने से बालूराम की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी।
इधर, साहूकारों से लिए गए कर्ज की किस्त व केसीसी का रुपया जमा होने की स्थिति में मानसिक रूप से परेशान बालूराम ने आत्महत्या की है। उन्होंने मृतक बालूराम के सम्पूर्ण बैंक कर्ज माफ करने के साथ पीडि़त परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की है।
ऐसा नहीं करने पर आगामी सप्ताह में किसान आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है। इस दौरान किसान महापंचायत के हस्तिराम, लाला प्रजापत, भरत मीणा, गोपाल, हनुमान, रामकिशन, श्योजी, सवाईराम चौपड़ा समेत अन्य किसान मौजूद थे।

खेत में उपज कम, खर्चे से था परेशान
ज्ञापन में बताया कि करीब तीन-चार वर्षों से खेतों में बोई गई फसलों से उपज नहीं होने से लागत भी नहीं मिल रही थी। उपर से बढ़ रहे पारिवार के खर्चे ने किसान बालूराम की कमर तोड़ दी।
इस पर उसने बैंक से केसीसी सहित सूदखोरों से ब्याज से लेकर एक पुत्र व एक पुत्री का विवाह किया, साथ ही केंसर से पीड़ीत छोटे भाई कालूराम के उपचार में लाखों रुपए लगाए, लेकिन वह उसे बचा नहीं पाया।
हालांकि एक पुत्र खेती में उसका हाथ बटाता था तो दुसरा पुत्र ट्रक चलाकर घर का खर्चा चला रहा था। फिर भी परिवार की जरुरतें पुरी नहीं हो पा रही थी। इस दौरान कर्जा बढ़ता गया और धीरे-धीरे करीब 10-12 लाख के पार हो गया। बैंक व सूदखोरों को रुपए चुकाने की चिंता सताने लगी आखिरकार बालूराम ने सारी चिंताएं सीने में दफन कर मौत को गले लगा लिया।
नहीं खुल रहा नामांतकरण
पचेवर. अपनी कब्जा शुदा जमीन का नामांतकरण नहीं खोलने से एक पीडि़त को सरकारी योजनाओं से वंचित होने के साथ दर दर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा हैं। पीडि़त ने बताया कि करीब आठ माह से लगातार पटवार भवन के चक्कर काटने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं।
इससे पूर्व भी कई बार कस्बे में लगने वाले सरकार द्वारा जन सुनवाई केम्प में भी कोई संतोषप्रद कार्रवाही नहीं हुई। पीडि़त जगदीश प्रसाद पुत्र ग्यारसी लाल तेली निवासी पचेवर ने बताया कि उसके पिता की मृत्यु करीब पच्चीस वर्ष पहले हो गई थी, जिनके दो संतान बाबू लाल व जगदीश हैं।
पंचायत प्रशासन से मृत्यु प्रमाण पत्र तथा सजरा रिपोर्ट भी पेश कर हल्का पटवारी को नामांतकरण भरने के लिए दे दिए, लेकिन हल्का पटवारी ने कहा कि तहसीलदार व ग्रामीणों की सहमति के प्रमाण पत्र पेश करें।
इसके पश्चात पीडि़त ने करीब चालीस ग्रामीणों के सहमति हस्ताक्षर व तहसील कार्यालय की रिपोर्ट पेश करने के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं होने से पीडि़त को आर्थिक व मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही हैं।
पीडि़त के साथ परिवार व कस्बे के ग्रामीणों ने भी हल्का पटवारी को बार-बार अवगत करा दिया, लेकिन स्थिति जस की तस हैं।


पटवारी कर रहा मनमर्जी- पीडि़त कास्तकार को पंचायत प्रशासन द्वारा सभी प्रकार के महत्वपूर्ण कागजात संलगन करते हुए करीब चालीस से अधिक ग्रामीणों के सहमती व हस्ताक्षरयुक्त प्रमाण पत्र पेश कर दिए गए हैं। इसके बावजूद भी हल्का पटवारी मनमर्जी कर रहा हैं।
घनश्याम गुर्जर,सरपंच ग्राम पंचायत पचेवर।

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