इसका उदाहरण हैकि जिले में बजरी से सम्बन्धित एक भी निर्माण कार्यअब तक नहीं रुका। ना ही किसी ठेकेदार ने अब तक सम्बन्धित विभाग में ये आपत्ति जताईकि बजरी बंद होने से निर्माण कार्यबाधित हो रहा है।
ये हो चुका राजस्व का नुकसान
बजरी खनन से राज्य सरकार को खनिज विभाग के जरिए हर महीने 450 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता था। ये नवम्बर 2017 से जनवरी 2019 तक ये राजस्व 67 करोड़ 50 लाख रुपए का था। इसका सीधा-सीधा नुकसान राज्य सरकार को हो गया।
लक्ष्य भी बिना सोचे समझे दिए
दूसरी ओर मजेदार बात ये भी हैकि खनिज निदेशालय ने टोंक जिला खनिज विभाग को राजस्व का लक्ष्य चौंकाने वाला दिया है। जारी लीजों से राजस्व तो करीब 12 करोड़ रुपए मिल रहा है
बन गए भवन व चारदीवारी
जिला मुख्यालय की बात करें तो शहर के मध्य घंटाघर के समीप निर्वाचन विभाग कार्यालय इस अवधि में ही पूरा हुआ है। नगर परिषद ने गांधी खेल मैदान की चारीदीवारी व नेहरू पार्कका जिर्णोद्धार करा दिया।
हालांकि बजरी परिवहन करने वालों को पुलिस व प्रशासन की टीम लगातार पकड़ रही हैं
ये करना था, जो किया नहीं
पुलिस व प्रशासन को हाइवे समेत अन्य मुख्य मार्गों पर गश्त तथा जांच करने के स्थान पर बजरी खनन वाले स्थान चिह्नित करने चाहिए थे। साथ ही बजरी खनन में नदी के रास्तों को बंद कर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसके चलते बनास नदी में रात के समय बजरी खनन होकर परिवहन किया जा रहा है।