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टोंक सआदत अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था हुई बे-पटरी, टैबल व स्ट्रेचर पर हो रहा मरीजों का इलाज

locationटोंकPublished: Oct 19, 2021 06:27:47 pm

Submitted by:

pawan sharma

टोंक सआदत अस्पताल की बिगड़ी चिकित्सा व्यवस्था का कलक्टर चिन्मयी गोपाल ने मंगलवार को एक बार फिर से दौरा किया है।
 

टोंक सआदत अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था हुई बे-पटरी, टैबल व स्ट्रेचर पर हो रहा मरीजों का इलाज

टोंक सआदत अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था हुई बे-पटरी, टैबल व स्ट्रेचर पर हो रहा मरीजों का इलाज

टोंक. गत दिनों दो दिवसीय दौरे पर रहे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट द्वारा सआदत अस्पताल के किए गए ओचक निरीक्षण मिली शिकायतों व अव्यवस्थाओं में दो दिन में सुधार के जिला कलक्टर चिन्मयी गोपाल सहित पीएमओं को निर्देश दिए थे। जिसक बाद चिकित्सा व स्वास्थ्य निदेशालय की टीम व जिला कलक्टर चिन्मयी गोपाल सहित चार बार किए ओचक निरीक्षण के बावजूद अस्पताल के हालात नही सुधर पाए।
मंगलवार को एक बार फिर जिला कलक्टर चिन्मयी गोपाल , एडीएम मुरारी लाल शर्मा सुबह 9.15 बजे सआदत अस्पताल पहुंचे तो वहां हालत जस के ठस ही नजर आए। दूसरी बार कलक्टर चिन्मयी गोपाल के निरीक्षण के लिए सआदत अस्पताल पहुंचने पर मरीजों व उनके परिजनों ने शिकायतों की झड़ी लगा दी। मामले की गम्भीरता को देख जिला कलक्टर ने तत्काल पीएमओ डॉ खेमराज बंशीवाल, डिप्टी कंट्रोलर डॉ, बीएल मीणा को मरीजों की समस्याओं को हल करने के निर्देश दिये।
पलंग कम तो स्ट्रेचर पर इलाज

मौसमी बिमारियों के बढ़ते प्रकोप के कारण मरीजों की संख्या में इजाफा देख अस्पताल प्रशासन की ओर से शुरू किए नए मेडिकल वार्ड में 40 पलंग भी कम पड़ रहे है , यहां पर पलंग के अभाव में बैंच व स्ट्रेचर पर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। मरीजों व परिजनों ने अस्पताल में ओर पलंग लगाने के लिए जिला कलक्टर को कहा है।

एक पलंग पर दो या दो से अधिक मरीज

मेडिकल वार्डो में एक पलंग पर दो व दो से अधिक रोगी भर्ती किये जाने से संक्रमण का खतरा बढऩे की आशंका है। वही वार्ड में मरीजों के लिये पर्याप्त पलंग नही होने से मरीजों को बेंचों व स्ट्रेचरर पर ही इलाज कराना पड़ रहा है।
जिला कलक्टर के निरीक्षण दौरान सआदत अस्पताल टोंक मेडिकल वार्डो में 39 पलंग ऐसे थे जहां प्रत्येक बेड्स पर दो या दो से अधिक रोगियों को अपना इलाज कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिला कलक्टर से मरीज के परिजनों ने बताया कि अस्पताल में मरीजों के परिजनों के लिये बैठने के लिये बेंचों तक का इंतजाम नही है।

नही है पानी व्यवस्था
कलक्टर को वार्ड में मरीज के परिजनों ने शौचालय में पानी नही होने, वार्ड में एक मरीज के साथ पांच-पांच व्यक्तियों के होने की शिकायत भी की । भर्ती मरीज के परीजनों ने कलक्टर को बताया कि मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर उपर की मंजिल पर शुरू किए गए मेडिकल वार्ड के मरीजों के लिए पीने के पानी कोई व्यवस्था नही होने पर पानी के लिए निचे आना पड़ता है।
दूसरे दिन मिल रही डेंंगू की जांच

कलक्टर के निरीक्षण के दौरान मेडिकल वार्ड में भर्ती मरीजों व परिजनों ने बताया कि डेंगू की जांच के लिए सेम्पल देने के बाद भी उसी दिन जांच रिपोट नही मिल रही है। जांच रिपोर्ट के लिए अगले दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। जिससे मरीज का समय पर उपचार शुरू नही हो पाता है।
मरीजों ने ये भी बताया कि तुरंत इलाज के लिए बाहर निजी लैब पर डेगूं की जांच करवाने के लिए 700 रूपए तक मरीज के खर्च हो रहे है। वही रोगियों का कहना था कि प्लेट्स रेट डाउन होने के बावजूद डॉक्टर्स रोजाना मरीजों को छुट्टी कर देते है। ऐसे हालातों में उनकों प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिये जाना पड़ता है।
प्रतिदिन 150 से 200 एलाईजा टेस्ट
कलक्टर के दौरे के दौरान साथ में रहे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अशोक यादव ने बताया कि 16 अक्टूबर तक 153 मरीज सामने आ चुके हैं। सआदत अस्पताल में डेंगू के प्रतिदिन 150 से 200 एलाईजा टेस्ट किए जा रहे है।
मौसम परिवर्तन के साथ ही प्रतिवर्ष डेंगू के लगभग 500 मरीज आते हैं। यादव ने बताया कि इसी तरह प्रथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व सामुदायिक केन्द्र पर कार्ड से डेंगू का टेस्ट किया जा रहा। अगर कार्ड टेस्ट में डेंगू में पॉजिटिव आ रहा हे तो फिर उसका एलाईजा टेस्ट के लिए सआदत अस्पताल भेजा जाता है। यादव ने बताया कि एलाईजा टेस्ट की सुविधा जिले में केवल टोंक सआदत असपताल में ही उपल्ब्ध है।

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