इस बार जो भी जनप्रतिनिधि आए वे तय कर ले कि जो भी वादा करे वो पूरा हो। अंजू कक्कड़ ने कहा कि जिला विकास के पथ पर इस लिए आगे नहीं बढ़ पाया कि जनप्रतिनिधि इसे गहराई से नहीं सोचतेे।
जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे विकास की योजनाएं टोंक में लेकर आए। ताकि ये हर क्षेत्र में विकास करे। रिजवाना अहमद ने कहा कि टोंक में महिलाओं के पास हुनर तो है, लेकिन वो इसे सामने नहीं ला पा रही है।
इसी का नतीजा है कि महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं बन रही है। लोकसभा चुनाव में आने वाले जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे टोंक में लघु उद्योग स्थापित करे। ताकि घर पर बैठकर महिलाएं आरीतारी, पापड़, नमदा समेत अन्य कार्य कर आत्मनिर्भर बन सके।
ऐसी परियोजनाएं आएं तो शहर में बेरोजगारी भी दूर होगी। रितू विजय ने कहा कि हर बार बातें ही होती है। कोई भी परियोजना नहीं लाता है। इसके चलते जिला मुख्यालय होने के बावजूद शहर पिछड़ रहा है।
ऋचा सिंहल ने कहा कि शहर में शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी बड़ा संस्थान नहीं है। उच्च शिक्षा के लिए कोटा तथा जयपुर का रुख करना पड़ता है। जिला मुख्यालय के समीप के निवाई में कई विश्वविद्यालय है, लेकिन टोंक में एक भी नहीं है।
ऐसे में टोंक में भी उच्च शिक्षा का केन्द्र खुलना चाहिए। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को प्रयास करने चाहिए। सुशीला गुप्ता ने कहा कि टोंक में विकास के कई आयाम है, लेकिन उन्हें भुनाया नहीं जा रहा है। ना ही कोई बड़ी परियोजना लाकर इसे विकसित किया जा रहा है। आने वाली सरकार को चाहिए कि वे टोंक के विकास पर ध्यान दें।