वहीं कई का दावा था कि कांग्रेस की वर्तमान सरकार पूरा कार्यकाल करेगी। तय विधायक कांग्रेस के साथ ही रहेंगे। सचिन पायलट के पास मौजूद विधायकों को लेकर भी चर्चाएं चलती रही। गौरतलब है कि प्रदेश कांगे्रस तथा राज्य सरकार के मुख्यमंत्री तथा अन्य के बीच हुए विवाद के बाद विधायक तोडऩे तथा नए सिरे से बहुमत को लेकर उठापठक चल रही थी।वहीं लोग जयपुर व दिल्ली में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम की जानकारी लेने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे है। तथा पदाधिकारियों से सम्पर्क कर रहे है।
सियासी उठा-पटक पर टिकी नजर टोंक. प्रदेश स्तर पर गहराई कांगे्रस की राजनीति का सीधा असर टोंक शहर में भी पड़ा है। कांग्रेस जिला कार्यकारिणी आला कमान यानी प्रदेशाध्यक्ष के फैसले पर नजर टिकाए हुए है। वहीं कांग्रेस के अन्य लोग जो हुआ उसमें बदलाव पर चर्चा कर रहे हैं। बरहाल जिलेभर में चर्चा रही कि कितने विधायक आएंगे और कितने नाराज होकर बैठक में शामिल नहीं होंगे। वहीं पहले जो पदाधिकारी गुटों में चुप थे, वो अब सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ सामने आने लगे हैं।
दिनभर के घटनाक्रम में जिस प्रकार की बातें सामने आई, उससे गुट भी सामने आ गए हैं। वहीं जिले के विधायक भी सोशल मीडिया के माध्यम से खुलकर सामने आए हैं। एक विधायक ने स्वयं को पार्टी के प्रति समर्थित बताया। वहीं एक विधायक ने बदलाव को दबी जबान से सही कहा। वहीं प्रदेश कांग्रेस व राज्य सरकार में चल रही उठा पठक को टोंक, देवली-उनियारा एवं निवाई विधानसभा सम्पर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन तीनों के फोन बंद मिले।
मीणा नहीं पहुंचे जयपुर
हरीश मीणा भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में आए थे। वह पूर्व में भाजपा से दौसा से सांसद थे। वहीं चुनाव में प्रचार के दौरान दूनी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभा भी की थी। देवली-उनियारा से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंंत्रीमण्डल में उन्हें जगह नहीं मिली, जबकि हरीश मीणा प्रदेश में पुलिस विभाग के सर्वोच्च पद से सेवानिवृत थे।
राज्य प्रशासन में पहुंच नहीं होने के कारण भी उपेक्षा महसूस कर रहे थे। वहीं हरीश मीणा का विधानसभा क्षेट उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के विधानसभा क्षेत्र के पास होने से दोनों में नजदीकियां भी बढ़ गई। वहीं गत वर्ष नगरफोर्ट प्रकरण में भी विधायक हरीश मीणा को धरने के बाद अनशन पर बैठना पड़ा था।
बेटे की थी चुनाव लडऩे की चर्चा: विधानसभा चुनाव के दौरान टोंक की सीट को कांग्रेस सेफ मान कर चल रही थी। ऐसे में कांग्रेस की ओर से टीकट वितरण के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के भी चुनाव लडऩे की संभावनाएं जताई गई थी, लेकिन बाद सचिन पायलट को यहां से टिकट मिल गया था।
प्रदेशाध्यक्ष का फैसला सर्वमान्य है, जो भी होगा कांग्रेस हित में होगा और पूरी जिला कार्यकारिणी कांग्रेस के साथ है। कांग्रेस में कोई गुट नहीं है।
लक्ष्मण चौधरी गाता, जिलाध्यक्ष कांग्रेस नाराजगी भी हो जाती है
निवाई. राज्य सरकार व सचिन पायलट के बीच उपजे विवाद पर कांग्रेस शहर अध्यक्ष महावीर प्रसाद पराणा ने कहा कि यह विवाद तो पारिवारिक है और परिवार में आपस में झगड़े और एक दूसरे से नाराजगी भी हो जाती है। कांग्रेस का कार्यकर्ता राष्ट्रहित के तैयार रहता है।जल्द ही पार्टी के बड़े नेता मामले सुलझा लेगें।
लक्ष्मण चौधरी गाता, जिलाध्यक्ष कांग्रेस नाराजगी भी हो जाती है
निवाई. राज्य सरकार व सचिन पायलट के बीच उपजे विवाद पर कांग्रेस शहर अध्यक्ष महावीर प्रसाद पराणा ने कहा कि यह विवाद तो पारिवारिक है और परिवार में आपस में झगड़े और एक दूसरे से नाराजगी भी हो जाती है। कांग्रेस का कार्यकर्ता राष्ट्रहित के तैयार रहता है।जल्द ही पार्टी के बड़े नेता मामले सुलझा लेगें।
कांग्रेस सरकार पूर्ण रूप से सुरक्षित निवाई. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश संयुक्त सचिव और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सूरजनारायण भट्ट का कहना है कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार पूर्ण रूप से सुरक्षित है और अशोक गहलोत पार्टी विशेष नेता और जननायक के रूप पहचान बनाई है।
5 साल सरकार चलाएगें कांग्रेस एक परिवार है और सदस्यों के बीच मनमुटाव हो ही जाता है। हमें विश्वास है किपार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री आपसी सामांजस्य से 5 साल सरकार चलाएगें।
एमलईक खान अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस उनियारा
एमलईक खान अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस उनियारा