लावा गांव रियासतकाल में एक अलग ठिकाना रहा है, जिसमें राज दरबार लगता था। लावा गांव में राजा-महाराजाओं के समय से ही धूलण्डी के पर्व पर रंगों का त्यौहार नहीं मनाने की परम्परा चली आ रही है।
धूलण्डी के पर्व के दिन सामान्य दिनों की तरह गांव का बाजार पूर्ण रुप से खुलता है तथा सामान्य रूप से बाजार में कारोबार चलता है लावा के आस-पास के गांवों में भले ही धूलण्डी पर्व पर रंगों का त्यौहार खेला जाता है, लेकिन कोई भी ग्रामीण लावा गांव में धूलण्डी पर एक-दूसरे को रंग व गुलाल नहीं लगाता है।
गांव में होली के बाद रंगो का त्यौहार रंगपंचमी के अवसर पर खेले जाने की परम्परा चल रही है। गांव में रंगपंचमी पर एक बड़े कड़ाऊ में रंग भरकर कोड़ा मार रंगो की होली भी खेली जाती है, जिसमें महिलाएं व पुरुष मिलकर रंगों की होली खेलते है। घरों में पकवान बनाकर त्यौहार का आनन्द लिया जाता है।
केमिकल के रंगों से नहीं गुलाल से खेलेंगे होली
बंथली. महर्षि कश्यप महाविद्यालय में निदेशक नरेन्द्र मेहरा ने छात्र-छात्राओं को सोहार्द से गुलाल से होली खेलने की शपथ दिलाई। व्याख्याता राजकुमारी चंदेल व वार्डपंच लक्ष्मी मेहरा ने छात्र-छात्राओं को गुलाल से तिलक लगाया।
बंथली. महर्षि कश्यप महाविद्यालय में निदेशक नरेन्द्र मेहरा ने छात्र-छात्राओं को सोहार्द से गुलाल से होली खेलने की शपथ दिलाई। व्याख्याता राजकुमारी चंदेल व वार्डपंच लक्ष्मी मेहरा ने छात्र-छात्राओं को गुलाल से तिलक लगाया।
शिव पब्लिक उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं शिव महाविद्यालय सरोली मोड़ में निदेशक शिवजीलाल चौधरी ने केमिकल के रंगों के बजाय एक-दुसरे के घर जाकर पकवानों का स्वाद लेकर गुलाल से होली खेलने पर जोर दिया। इस दौरान प्राचार्य डॉ. शकुन्तला, डॉ. परशुराम, डॉ. अल्का सक्सेना, ऋषपाल गुर्जर सहित अन्य भी मौजूद थे।