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दर्जनों एनिकट बने है बांध भरने में रोड़ा

locationटोंकPublished: Aug 12, 2020 09:14:56 am

Submitted by:

Vijay

गत वर्ष बांध पर चली थी चादरडेढ दशक में चार बार लबालब हुआ बांध व दो बार ही चली चादरइस बार सिर्फ डेड स्टोरेज में बचा हैं पानी, नहीं हुई अभी आवक

दर्जनों एनिकट बने है बांध भरने में रोड़ा

दर्जनों एनिकट बने है बांध भरने में रोड़ा


माशी बांध से 29 गांवों की हजारों हैक्टेयर भूमि होती हैं सिंचित
टोंक. क्षेत्र की समृद्धि खुशहाली का प्रतीक माशी बांध डेढ दशक में केवल चार बार ही लबालब हुआ है, वहीं दो बार चादर चली है। इसका मुख्य कारण जलभराव करने वाली नदियों के रास्ते में रोककर बनाए हुए दर्जनों एनिकट है। जिससे बांध भराव क्षमता के आंकड़े को प्रतिवर्ष छूने में विफल रहने लगा है। हालांकि क्षेत्र के लोगों की लाइफलाइन माशी बांध पर 2011 के बाद वर्ष 2019 में पानी आवक क्षेत्र में अच्छी बारिश होने से दर्जनों एनिकटों के बावजूद यह छलक गया था तथा चादर चली थी। गर्त वर्ष करीब 7 सालों बाद माशी बांध में भराव क्षमता 10 फीट के मुताबिक फुल भरकर चादर चली थी। इस बांध के भरने से क्षेत्र के 29 गांवों के लोगों को फायदा मिलता हैं। जिनमें लोहरवाड़ा, आजमपुरा, संदेड़ा, अब्बासनगर, मोहम्मदनगर, अलीमपुरा, बलखंडिया, काशीपुरा, नाथड़ी, ढूंढिया, मुमाणा, निमेड़ा, मालीपुरा, पांसरोटिया, कुरेड़ा, कुरेड़ी, देवरी, गहलोद, अलीनगर, किशनपुरा, इस्लामपुरा, मारखेड़ा, मुंडिया, डोडवाड़ी, गाता, गुढारामदास, कचोलिया, औंकारपुरा के करीब 30 हजार से अधिक लोगों को फायदा मिलेगा। किसानों को सिंचाई के लिए नहर से पानी मिलेगा।
सिंचाई विभाग की जेईएन शिवांगी गोयल ने बताया कि मासी बांध 9 अगस्त 2020 तक 130 मिमी ही बारिश दर्ज की गई है। वहीं गत वर्ष 9 अगस्त 2019 तक 440 एमएम बारिश हो चुकी थी। वहीं गत वर्ष कुल 8 29 एमएम बारिश दर्ज की गई थी। जबकि सामान्य बारिश 600 मिमी होती है। इस बार के मानसून में बांध में पानी की आवक नहीं हुई हैं। लेकिन फिलहाल डेड स्टोरेज में गत वर्ष का पानी बचा हुआ हैं। क्षेत्र के किसान प्रदेश में जिस तरह कई इलाकों में मानसून मेहरबान हैं उसी तरह से माशी बांध के लबालब होकर चादर चलने की उम्मीद लगाएं बैठे हैं।
क्यों बना था बांध
इस बांध का निर्माण पीपलू व निवाई तहसीलों की सीमा पर माशी, बांडी, खेराखशी नदियों का पानी रोककर सन् १९६० ई. में पीपलू क्षेत्र के २9 गांवों की २८ हजार एकड़ भूमि को नहरों के जरिए सिंचित करने, निवाई की पेयजल समस्या को हल करने सहित जलीय जीवों का पालन करने को लेकर किया गया था। बांध पर 725 फीट लम्बी चादर बनी होने सहित 16 गुणा 8 फीट के पांच गेट लगे हुए है। जो बांध 1971 में अधिक पानी की आवक होने पर टूट गया था। इसके बाद फिर से बांध की मरम्मत की गई। बांध की मजबूती के बाद 198 1 में बांध पर 11 फीट ऊंचाई की चादर चली थी। इस बांध में 1700 लाख घन फीट बरसाती जल संग्रहित होता है, जिसमें से 1240 लाख घनफीट पानी का उपयोग पीपलू तहसील की सिंचाई तथा शेष संग्रहित 46 0 लाख घनफीट पानी का उपयोग निवाई तहसील मुख्यालय को पेयजल आपूर्ति करने एवं जलीव जीव, मत्स्य पालन में कई वर्षो से हो रहा है, लेकिन बांध के कैचमेंट एरिया में पिछले डेढ़ दशक से लगातार बनाए गए एनिकटों के कारण इसमें बरसाती पानी की आवक रुकी है। इससे पीपलू क्षेत्र की खुशहाली एवं समृद्धि को तो ग्रहण लगता ही हैं, वहीं निवाई शहर की पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित होती है।
रबी फसल की सिंचाई के लिए माशी बांध की नहरों पर निर्भर किसान
माशी बांध से पीपलू क्षेत्र में गहलोद तक 40 किलोमीटर लम्बी मुख्य नहर व दर्जनों वितरिकाएं बनी हुई है। ऐसे में नदी तल से 16 फीट ऊंचाई पर बने शून्य बिन्दू से 10 फीट भराव क्षमता वाले माशी बांध के भरने से इन नहरों में पानी छोड़ा जाता है, तो क्षेत्र में 6 98 5 हैक्टेयर जमीन पर रबी की फसल में सिंचाई की जाती है। जिससे क्षेत्र का किसान समृद्ध व खुशहाल होता है। लेकिन गत डेढ दशक में बांध चार बार ही पूरा भरा है।
कब कितना आया पानी
दस फीट भराव क्षमता वाला माशी बांध 1991 से लेकर 1999 तक लगातार फुल भरता रहा हैं। लेकिन इसके बाद बांध में पानी की आवक को ग्रहण लग गई हो। वर्ष 2001 से 2003 बांध में प्रतिवर्ष करीब ढ़ाईफीट पानी की आवक हुई। वर्ष 2004 में बांध में 9 फीट पानी की आवक हुई। इसके बाद 2005 से 2009 तक फिर बांध में करीब 2.95 फीट पानी की आवक हुई हैं। वर्ष 2010 में बांध लबालब हुआ तथा बांध की चादर चली। 2011 में भी बांध भराव क्षमता के मुताबिक पूरा भर गया। 2012 से लेकर 2018 तक बांध पूरी तरह से नहीं भर पाया। वहीं पिछले 6 वर्षों में 3 बार तो बांध रीता ही रह गया। मानसून की बेरूखी से वर्ष 2015, 2017, 2018 में बांध पूरी तरह से खाली रहा। गत वर्ष 2019 में मानसूम के झूम कर आने से पूर्ण भराव क्षमता 10 फीट तक भरने के बाद कई दिनों तक हल्की चादर चली थी।
डेढ दशक में यहां बने एनिकट
जानकारी मुताबिक माशी नदी कैचमेंट एरिया में जयपुर जिले के पारली, निमेड़ा, मेहंदवास, गोकुलपुरा, मोहनपुरा, समेलिया, मंडप, चांदमा खुर्द, देवजी की नाड़ी, सडक़ समीप, मण्डावरा के रास्ते छापरी तथा बांडी नदी पर रामकरण धान्दा के कुए के पास तथा टोंक जिले के बीजलपुरा गांवों के समीप पिछले डेढ दशक में एनीकट बने हैं। इसी तरह बांध के जल भराव में सहायक नदियां बांडी व खेराकशी दोनों में भी सरकार ने बीते दशक में कई एनीकट निर्माण करा दिए है। जिससे हर वर्ष की बारिश में माशी बांध का भराव प्रभावित हुआ है।
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