बजरी से जुड़े मजदूर दिनभर ठाले बैठे दिखाई दिए। बजरी के अभाव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में बन रहे शौचालयों का निर्माण कार्य बंद होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोग निर्माण कार्य को लेकर बजरी के लिए भटकते दिखाई दिए।
ग्रामीणों ने बताया कि खनिज विभाग की कार्रवाई के डर से ट्रैक्टर चालक भी अब बनास की ओर रूख करने से कतराते नजर आए। इधर, पुलिसकर्मी व खनिज विभाग के कार्मिक दिनभर बारी-बारी से बनास नदी में बने बजरी पेडों पर गश्त कर बजरी खनन पर नजर बनाए हुए हंै।
कई जगहों पर बजरी खनन माफियाओं की ओर से किए गए बजरी के ढेर (स्टॉक) से महंगे दामों पर बजरी की खरीद फरोख्त करते रहे। जहां लोगों को दुगने दामों पर चोरी छुपे बजरी के ट्रैक्टर भरने लगे रहे।
खनिज विभाग की टीमों के कई क्षेत्रों में गश्त करने से बजरी परिवहन में लगे ट्रैक्टर चालक भी शहर से दूर बसे गांवों के पास से बजरी भरते रहे। गांवों के ट्रैक्टर चालक नजर बचाकर रात में बजरी का खनन करने में लगे रहे। भवन निर्माण करा रहे लोगों का कहना है कि पहले शहर में छह से सात सौ रुपए तक एक टैक्टर-ट्रॉली उपलब्ध हो जाती थी। अब इसकी कीमतें डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। ऊंटगाड़ी धारक बेरोक-टोक बजरी का परिवहन करते रहे।
बजरी के लिए भटकते रहे बंथली .चौबीस घंटे वाहनों, मशीनों व मजूदरों के शोर-शराबे से आबाद रहने वाली वाली बनास नदी व इससे निकल रहे मार्गों पर सन्नाटा पसरा रहा। पुलिस व खनिज विभाग के अधिकारी आधी रात से ही नदी में गश्त करते रहे। इसके बावजूद कुछ वाहन चालक चोरी छिपे खनन कर बजरी ले जाने मेें सफल हो गए।
आशियाना बनवाने की आस लिए लोग व भवन निर्माण से जुड़े ठेकेदार बजरी के लिए भटकते रहे। बजरी वाहनों की रॉयल्टी काटने व जांच को लेकर लीजधारियों की ओर से लगाए गए बजरी नाकों पर भी वीरानी छाई रही। रॉयल्टी कार्मिक टैंटों में सुस्ताते रहे। खनन बंद होने के बाद नदी पेटे लगी होटल व दुकानों पर सूनापन रहा।
खनन बंद होने से श्रमिक बेरोजगार हो गए। श्रमिकों ने बताया कि बजरी खनन के कार्य में ली जा रही मशीनों से पर्यावरण प्रदूषित होता है। ऐसे में मशीनें बंद कराकर खनन करने की इजाजत मिलती है तो प्रदूषण से निजात मिलेगी।