इस मामले में पीपलू तहसीलदार एवं कार्यपालक मजिस्ट्रेट ने 11 जून 2020 को इस स्थान के अतिक्रमण हटाने को लेकर भूअभिलेख निरीक्षण लोहरवाड़ा, रानोली व पटवारी भूरावली, गहलोद को निर्देशित किया था कि 25 जून 2020 को उक्त भूमि को पुलिस जाप्ते के साथ अतिक्रमण मुक्त करवाकर मौका रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।
लेकिन मौके पर न तो कोई टीम पहुंची न ही पुलिस जाप्ता। अनवरनगर उर्फ भूरावली के नानूलाल, श्योराज, रतिराम, धर्मराज चौधरी, दीनदयाल, ओमप्रकाश, आत्माराम जाट, ब्रदीलाल ने बताया कि 20 मई 2019, 30 अक्टूबर 2019, 31 अक्टूबर 2019, 27 फरवरी 2019 के तहसील कार्यालय द्वारा अतिक्रमण हटाने को लेकर आदेश निकाले गए।
लेकिन मौके पर सिर्फ एक बार नाममात्र की कार्रवाई की गई हैं। ग्रामीणों ने बताया कि धारा 91 के तहत अतिक्रमियों को नोटिस जारी किए जाने के बावजूद प्रभावशाली लोग मौके पर तीन कच्चे मकान, 20 ट्रॉली पत्थर सहित अतिक्रमण कर वहां खेतीबाड़ी कर रहे हैं। इस मामले को पीपलू थाने में भी परिवाद दर्ज हैं। वहीं 2 जून 2020 को उपखंड अधिकारी ने तहसीलदार पीपलू को भूमि का सीमाज्ञान करवाते हुए अतिक्रमण हटवाने के लिए निर्देशित किया हुआ हैं।
ग्रामीणों ने इस संबंध में सपंर्क पोर्टल अलग-अलग नामों से 5 बार से अधिक शिकायत दर्ज करवाई। जिसके बाद फिर अतिक्रमण हटाने को लेकर आदेश जारी हुए। 6 दिसंबर 2019 को जिला कलेक्टर कार्यालय टोंक से भी तहसीलदार पीपलू को अतिक्रमण हटाने के संबंध में आदेश जारी किए गए। इस संबंध में राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव ने भी 23 दिसंबर 2019 को जिला कलेक्टर को अतिक्रमण हटवाने को लेकर आदेश जारी किए हैं।
लेकिन आज तक सिर्फ थानाधिकारी द्वारा उपखंड अधिकारी को, उपखंड अधिकारी द्वारा तहसीलदार को, तहसीलदार द्वारा उपखंड अधिकारी के बीच लेटर चलते रहे हैं। लेकिन कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं हो पाई हैं। इस संबंध में ग्रामीणों ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय जयपुर पर आयोजित जनसुनवाई में शिक्षा राज्यमंत्री को भी शिकायत की। जहां 3 जनवरी 2020 को इस संबंध में राजस्व विभाग के विशिष्ट सहायक एमडी मीणा ने अतिक्रमण हटवाने को लेकर आदेश जारी किए। ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर एवं उपखंड अधिकारी से चरागाह भूमि से अतिक्रमण हटवाए जाने की मांग की हैं।