शहरी पब्लिक स्कूल की चमक-दमक से प्रभावित होने वाले बच्चों को स्थानीय स्तर पर उनसे भी अच्छी सुविधा उपलब्ध हो वह भी नि:शुल्क इस सपने को साकार करने में पूर्ण सहयोग दिया सदभावना फाउंडेशन ने। फाउंडेशन व स्टाफ साथियों को बताया तो उन्होंने स्वीकृति प्रदान कर दी, उन्हीं विचारों को बच्चों से शेयर किए बच्चों को उनकी कक्षा का रंग पूछा बाहरी परिवेश आकर्षक बनाने के लिए बरामदे में ट्रेन की पिक्चर बनवाई जो हुबहू इलेक्ट्रिक ट्रेन का स्वरूप है।
इसके दरवाजे खिड़कियां हैंडल बहुत ही आकर्षक व जीवंत है। कई अधिकारियों ने इसका अवलोकन कर विद्यालय की बहुत प्रशंसा की है। सभी बच्चे फर्नीचर पर बैठे सभी के पास एक जैसे बैग हो गले में विद्यालय का आई कार्ड हो सभी बच्चों के पास एक जैसे मास्क हो विद्यालय में हाईटेक कंप्यूटर ङ्क्षप्रटर हो बरामदे में शैक्षणिक पिक्चर हो जिन्हें बच्चा देख देख कर ही सीख जाए।
एडमिशन हो चुके हैं शुरू आज विद्यालय सुविधाओं युक्त है, किसी भी आने जाने वाले को यह बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। अब विद्यालय के कक्षा-कक्ष भी डिजिटल हाइटेक बने, ताकि बच्चे ऑनलाइन डिजिटली भी पढ़ाई कर सके।
इन नवाचारों का यह फायदा हुआ की अभी से ही विद्यालय में बच्चों के एडमिशन शुरू हो गए हैं। गांव के जो बच्चे अन्य शहरों में पढ़ाई कर रहे हैं, उनके माता-पिता भी विद्यालय में नामांकन करवाने के लिए आ रहे हैं।