दो साल बीत जाने के बावजूद आज तक वहां पर उक्त धारा लगी हुई है तथा आरएसी के जवान तैनात रहकर दबडिय़ा नाडी की सुरक्षा कर रहे है। जबकि प्रशासन व पुरातत्व विभाग दो साल में भी इस दबडिय़ा नाडी क्षेत्र की भूमि के बारे में समाधान नहीं निकाल पाया है।
दो साल पूर्व जानकीपुरा गांव की दबडिय़ा नाडी की पाळ पर तथाकथित सोना ढूंढने वाले ग्रामीणों की भीड़ द्वारा सिक्कों की खोज में खुदाई करने व प्रशासन व पुलिस के आने पर छिप जाने, लुकाछीपी के खेल को समाप्त करने व भीड़ को हटाने के लिए डिग्गी थाना पुलिस व हल्का पटवारी की ओर से तहसीलदार व उपखण्ड अधिकारी को भेजी गई।
रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी शंकरलाल सैनी द्वारा दबडिय़ा नाडी की पाळ क्षेत्र में 6 दिसम्बर 2016 को एक किलोमीटर दायरे में एक माह के लिए धारा 144 लागू कर आरएसी के जवान तैनात किए गए थे। समय-समय के साथ-साथ धारा 144 की समयावधि बढ़ती गई, जिसको दो साल पूरे हो गए है।
मामले में तत्कालीन जिला कलक्टर टोंक द्वारा पुरातत्व सर्वेक्षण जनपथ नई दिल्ली की लिखे पत्र के बाद से पुरातत्व सर्वेक्षण जनपथ नई दिल्ली के महानिदेशक की ओर से नाडी क्षेत्र में सर्वेक्षण के बाद सिक्कों की खुदाई करने के मामले में आगे की कार्रवाई करने के लिए समय-समय पर प्रशासन की ओर से धारा 144 की समयावधि बढ़ाई गई।
दो साल में पुरातत्व विभाग अजमेर व जयपुर के दलों द्वारा डिग्गी थाना पुलिस द्वारा जब्त किए गए सोने के सिक्कों व दबडिय़ा नाडी की पाळ क्षेत्र की जांच की गई, जिसमें सोने के सिक्के मुगलकालीन सभ्यता के निकलने की बात बताई गई।
सभी सोने के सिक्कों को पुलिस लाइन टोंक के मालखाने में जमा करवाने के बाद से आज तक पुरातत्व विभाग व प्रशासन की ओर से जानकीपुरा गांव की दबडिय़ा नाडी की पाळ पर प्रशासन द्वारा लगाई गई धारा 144 की समयावधि को बार-बार बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। गौरतलब है कि डिग्गी थाना पुुलिस द्वारा प्रदेश व अन्य प्रदेशों में भी कार्रवाई करते हुए मामले में कुल 211 सोने के सिक्के बरामद किए गए थे।
क्या कहते है वृताधिकारी:-मामले में पुलिस वृताधिकारी मालपुरा राजेश मलिक ने बताया कि पुरातत्व विभाग व जिला प्रशासन के निर्देशों पर ही धारा 144 की समयावधि को बढ़ाया जा रहा है। इनके आदेशों के बाद ही धारा 144 को हटाया जा सकता है।