जबकि अभी तक गेहूं व अन्य फसलों की बुवाई जारी है। कृषि विभाग के मुताबिक गत पांच वर्षों में किसानों का रुझान फार्म पौण्ड के प्रति बढ़ा है। इससे सिंचाई के अभाव में खाली पड़ी रहने वाली भूमि भी ‘पीले सोने से महकने लगी है। जबकि दशकभर पहले तक कम बारिश का असर जिले में देखने को मिलता था।
बीसलपुर बांध नहरी क्षेत्र की दो लाख हैक्टेयर जमीन को छोड़कर जिले की अधिकांश कृषि भूमि सिंचाई के अभाव में रीती पड़ी रहती थी। इनमें पीपलू, निवाई व मालपुरा आदि क्षेत्र शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि जलवायु की दृष्टि से जिला अद्र्धशुष्क मैदानी क्षेत्र में आता है। इस क्षेत्र में असामान्य मानसून व असमान बारिश की मुख्य समस्या थी। इससे वर्षा पोषित फसलों की उत्पादकता कम व अस्थिर रहती थी।
बारिश से भरे फार्म पौण्ड : जिले में इस बार औसतन अच्छी बारिश होने से अधिकांश फार्म पौण्ड भर गए। इससे सिंचित क्षेत्र के साथ-साथ द्विफसलीय भूमि का रकबा भी बढ़ा है। विभाग के मुताबिक जिले के मालपुरा, टोडारायसिंह उपखण्ड में 4 हजार, उनियारा में 2 हजार व टोंक-निवाई व देवली में विभिन्न मदों के तहत बने 3 हजार फार्म पौण्ड शामिल हैं।
सरसों के प्रति बढ़ा रुझान: किसानों का लगातार सरसों की फसल के प्रति रुझान बढ़ रहा है। इसके पीछे किसानों का प्रकृति पर निर्भर नहीं रहना है। कृषि विभाग भी कम पानी व कम मेहनत की फसल बुवाई पर अधिक जोर देता है। इसके साथ ही सरसों के भावों में तेजी व तूड़ी से मिलने वाले मुनाफे से भी किसान सरसों फसल के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
2 लाख 40 हजार में है सरसों : कृषि योग्य कुल भूमि में से दो लाख चालीस हजार हैक्टेयर भूमि में ‘पीला सोना कहलाए जाने वाली सरसों की बुवाई की गई है। टोंक, टोडारायसिंह, उनियारा व देवली क्षेत्र में बीसलपुर बांध का नहरी जाल बिछा होने से सरसों की बम्पर पैदावार होने की उम्मीद है।
बीसलपुर बांध में पानी की अच्छी आवक से दायीं व बायीं मुख्य नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है। मुख्य नहरों से जुड़ी माइनर व वितरिकाएं टोंक, देवली समेत उनियारा व टोडारायसिंह के अधिकांश भू-भाग को सिंचित करती है।
निवाई, मालपुरा, पीपलू समेत टोडारायसिंह क्षेत्रों में फार्म पौण्ड की अधिकता से अच्छी पैदावार होने की उम्मीद जताई जा रही है।