वही बांध में धीरे-धीरे घटते जलस्तर को लेकर आगामी मानसून सत्र के दौरान देरी से बांध भरने की उम्मीद को लेकर लम्बे समय तक बनास में कास्त कार्य होने की आशंकाओं को लेकर अच्छे मुनाफे की संम्भावना को मध्यनजर रखते हुए बनास में नदी कास्त के लिए टोंक, अजमेर, बूंदी जिले के किसान परिवार व पशुओं के साथ नदी में डेरा डालकर झौपडियां बनाने के साथ ही कृषि कार्य में जुट गए है, जिससे पिछले कई दिनों से सुनसान पड़ी बनास में श्रमिकों की चहलकदमी शुरू हो चुकी है।
दह किनारे से लेकर राजमहल, बोटून्दा, भगवानपुरा, नयागांव, संथली आदि बनास की सैंकड़ों बीघा भूमि ट्रैक्टरों से समतल करवाने के बाद बीज रखने के लिए क्यारियां बनाना, उसमें बीज रखना, उसके बाद गोबर की खाद में मिट्टी मिलाकर क्यारियों में भरने व पौधें अंकुरित होने के बाद फिर से गोबर व खाद लगाने उसके बाद तैयार फसल को तोडऩे आदि में श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
बीसलपुर बांध का निर्माण होने के बाद डाऊन स्ट्रीम में बजरी का पुनर्भरण नहीं होनेव गत कुछ वर्षों से लीज धारक व उसके बाद पनपे बजरी खनन मफिया की ओर से बनास में अंधाधुंध बजरी खनन के कारण नदी में तरबूज की जगह पिछले कुछ वर्षों से खीरा ककड़ी की पैदावार होने लगी है। अभी खीरा, कद्दू, लौकी, मिर्च, करेला, टमाटर आदि की फसलें एक साथ लगा रहे है।