scriptखेती छोड़ किसान बदल रहे व्यवसाय, फसल से दुगनी ले रहे है आमदनी | Farmers leaving farming and setting up fish plant | Patrika News

खेती छोड़ किसान बदल रहे व्यवसाय, फसल से दुगनी ले रहे है आमदनी

locationटोंकPublished: Jan 14, 2022 10:22:00 am

Submitted by:

pawan sharma

क्षेत्र के कई किसानों ने फसल की अपेक्षा आमदनी दुगनी करने के साथ ही बिना ऊपजाव मिट्टी में भी अच्छी आमदनी को लेकर मत्स्य प्लांट की ओर रूची दिखा रहे हैं।

खेती छोड़ किसान बदल रहे व्यवयाय, फसल से दुगनी ले रहे है आमदनी

खेती छोड़ किसान बदल रहे व्यवयाय, फसल से दुगनी ले रहे है आमदनी

राजमहल. क्षेत्र के कई किसान फसल की अपेक्षा आमदनी दुगनी करने के साथ ही बिना ऊपजाव मिट्टी में भी अच्छी आमदनी को लेकर मत्स्य प्लांट की ओर रूची दिखाने लगे हैं। पिछले एक वर्ष में क्षेत्र के राजमहल, गांवडी पंचायत के कालानाडा, देवली गांव क्षेत्र की दर्जनों बीघा भूमि में अब तक आधा दर्जन से अधिक खेतों में मत्स्य प्लांट लग चुके हैं, जिनमें कई प्लाटों से मछली का निर्यात जारी है।
तो कई प्लांट से मछली की जिरों ग्रोथ से मछली का बीज तैयार करने करने की प्रक्रिया चालू है। किसान मनोज हाडा ने बताया कि उसने 7 से 8 बीघा भूमि में मत्स्य प्लांट लगाया है जहां नदी नालों की भांति रहु, कतला, छूंदी आदि कई प्रजाति की देसी मछलियां तैयार की जा रही है। किसानों के अनुसार कम उपजाऊ व उसर भूमि में अच्छी पैदावार को लेकर उन्होंने मत्स्य पालन व्यवसाय को अपनाया है।
फसल से दुगनी आमदनी
किसानों ने बताया कि एक बीघा भूमि में फसल बोने को लेकर खर्च निकालने के बाद 30 से 35 हजार रुपए के करीब आमद होती है, जिसमें ओलावृष्टि, शीतलहर, रोग की चपेट आदि कई समस्याओं का सामना किसानों को करना पड़ता है। वहीं कृषि कार्य के लिए खेत की मिट्टी का उपजाऊ होना भी आवश्यक है। जबकि एक बीघा मत्स्य प्लांट में आमदनी दुगनी होती है। वहीं मिट्टी का उपयोगी होना भी आवश्यक नहीं है। इसी के साथ ओलावृष्टि व शीतलहर जैसी प्राकृतिक आपदाओं को लेकर होने वाली हानि से भी समस्या नहीं है।
इनाम के साथ मिलता अनुदान

मत्स्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार किसानों की ओर से खेत पर मत्स्य प्लांट लगाने पर मत्स्य विभाग की ओर से अनुदान दिया जाता है। इसी के साथ किसान की ओर से प्लांट लगाने वह अच्छी पैदावार पर किसानों को समय -समय पर कृषि विभाग की और से जिले व प्रदेश स्तर पर नगद राशि के साथ ही पुरस्कार भी दिया जाता है।
जल संरक्षण को मिल रहा बढ़ावा

कम उपजाऊ भूमि पर मत्स्य प्लांट लगाने के कारण किसानों को अच्छी आमदनी के साथ ही जल संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है। इससे बारिश का जल संग्रहण होने के साथ-साथ भूजल स्तर में भी बढ़ोतरी होती है। इसी के साथ मत्स्य प्लांट में आवारा पशुओं से रखवाली का झंझट समाप्त हो रहा है।
एक हैक्टेयर भूमि में मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग की ओर से 40 से 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है, वहीं शीघ्र ही कृषि भूमि की तरह किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी मत्स्य पालक को मिलने लगेगी।
राकेश देव, मत्स्य विकास अधिकारी टोंक।

कृषि विभाग की ओर से फार्म पॉन्ड पर अनुदान मिलता है, वहीं अगर किसान खेतों में मत्स्य प्लांट के दौरान किसानों की ओर से बेहतरीन प्रदर्शन पर भी कृषि विभाग की आत्मा योजना के तहत सम्मान तौर पर पुरस्कार राशि दी जाती है।
रेखा मीणा, सहायक कृषि अधिकारी देवली।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो