किसान प्रहलाद जाट ने बताया कि सरसों कटाई के लिए मजदूरों को 250 से 300 रुपए दिहाड़ी एवं घर पर बना खाना देने के साथ-साथ मजदूरों को दिन में चाय-नाश्ता का ऑफ र देकर मजदूरों को सरसों कटवाने के लिए राजी कर रहे हैं। गत वर्ष एक बीघा सरसों की कटाई की मजदूरी 800 से 900 रुपए थी, जो इस वर्ष बढ़ कर 1200 से 1300 रुपए हो गई। नटवाड़ा क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक गांवों में लगभग 75 हजार बीघा में सरसों की फसल को काटने के लिए किसान लगभग 8 से 9 करोड़ रुपए तक की मजदूरी का भुगतान करेंगे।
किसान मुकेश कीर ने बताया कि गत दिनों अचानक आए मौसम परिवर्तन के कारण किसानों के ललाट पर चिंता की रेखाएं नजर आ रही हैं, जिसके कारण किसान जल्द फ सल कटवाने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं शादी-विवाह के कारण भी मजदूरों की कमी हो रही है।
किसान शंकर लाल जाट ने बताया कि इन दिनों किसानों को सरसों काटने की जल्दबाजी भी हो रही है। सरसों का रकबा बढऩे व बम्पर पैदावार होने के कारण मजदूरों का टोटा है। दिहाड़ी मजदूरों को एडवांस में मजदूरी देकर दूसरे दिन के लिए पक्का करना पड़ता है।
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की मजदूर शान्ति देवी ने बताया कि यहां आने से उन्हें रोजगार के साथ आमदनी भी बढ़ी है। साथ ही किसानों ही द्वारा खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने से उनको बच्चों को भरपूर पोषण मिल रहा है। मजदूरी के साथ ही किसानों की ओर से रहने की भी व्यवस्था की गई है।
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की मजदूर प्रभु लाल ने बताया कि उन्हें वहां 100-200 प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी मिलती थी। वहीं यहां 400 रुपए प्रतिदिन की दिहाड़ी आसानी से मिल रही है, लेकिन मजदूरी की दौड़ में बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है, जिसकी पीड़ा हमेशा सताती है।