इसके बावजूद खननकर्ताओं ने इनमें करीब 30 से 40 मीटर गहराई तक खनन कर पत्थर निकाल लिया। आसमान छूते कई पहाड़ों के अब अवशेष नजर आ रहे हैं। अभी भी कई पहाड़ों पर खनन जारी है। इतना ही नहीं खननकर्ता निवाई स्थित अरावली पर्वतमाला शृृंखला पर भी खनन करने से नहीं चूक रहे हैं। शृंखला की पहाडिय़ों पर भी खनन जारी है। शृंखला से जुड़ी कई पहाडिय़ों पर इतना खनन हो चुका है कि वह सपाट नजर आने लगी है।
यहां गायब हो गए पहाड़
जिले में सर्वाधिक पत्थरों का खनन देवली ब्लॉक में होता है। देवली क्षेत्र के चांदली माता मंदिर के समीप तीन पहाडिय़ों पर इतना खनन हुआ कि उनके नामों-निशान मिट गए। पत्थर की लालच में खननकर्ताओं ने इनको कई मीटर गहरी खाइयों में तब्दील कर दिया।
इसके अलावा आवां, टोकरावास, घाड़, डाटुंदा, चांदसिंहपुरा, चारनेट, गेरोटा, निवारियां, खरोई समेत दो दर्जन गांवों से सटी पहाडिय़ां जमीदोज हो चुकी है। पहाडिय़ों में इस कदर खनन कर दिया कि उनमें आरपार रास्ते तक निकल आए हैं।
यहां भी कम नहीं खनन
वन क्षेत्र टोंक, मालपुरा तथा टोडारायसिंह में पहाड़ों पर खनन जारी है। प्रतिदिन दर्जनों की तादाद में पत्थर से भरे ट्रक गुजर रहे हैं। वन विभाग कभी कभार फोरी कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपा लेता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अवैध रूप से किए जाने वाले खनन पर नियमित कार्रवाई नहीं की जा रही है।
टोंक के बहीर इलाके में एक पहाड़ पर इतना खनन किया गया कि वो दो हिस्सों में बंट गया। जिला मुख्यालय पर तो दिन-दहाड़े ही पत्थर से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली गुजरते रहते हैं। वन क्षेत्र कच्चा बंधा, अंधेरी बाग, गड्ढा छिपोलाई, प्लांटेशन 61 व 62 में लगातार खनन जारी है।
वन विभाग की टीम गाहे-बगाहे भी कार्रवाई नहीं कर रही है। इसी का नतीजा है कि पत्थर खनन पर अंकुश नहीं लग रहा है। जबकि वन विभाग की टीम शहर में लगातार गश्त करे तो खनन पर अंकुश लग सकता है, लेकिन विभाग की टीम शहर के मुख्य मार्गों पर कभी कभी एकाध टैक्ट्रर-ट्रॉली को पकड़कर गाल बजा लेती है।
डीएफओ तक पर हो चुका हमला
वन विभाग के मुताबिक 12 जनवरी 2016 को उप वन संरक्षक वी. के. प्रधान की सरकारी कार को खननकर्ता ने देवड़ाबास के समीप ट्रैक्टर से टक्कर मार दी थी। इसमें उप वन संरक्षक तथा चालक को चोट नहीं आई, लेकिन कार का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। घटना के बाद चालक पत्थरों से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को छोड़ फरार हो गया था।
वहीं 18 जून 2016 को टोंक में देवली रोड पर ट्रैक्टर-ट्रॉली में पत्थर ले जा रहे खननकर्ताओं ने वनकर्मी जोधराजसिंह पर लकडिय़ों से हमला कर दिया था। इसी तरह 28 अप्रेल 2017 को वनकर्मी विक्रमसिंह और विनोद चौधरी पर टोंक में मोदी की चौकी पर हमला कर ट्रैक्टर-ट्रॉली ले गए था। वन विभाग के कार्यालय के सामने 10 दिसम्बर 2019 को पत्थर से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली को रोक रहे वन कर्मियों पर खननकर्ताओं ने हमला कर दिया। मजबूरन वनकर्मियों को पीछे हटना पड़ा था। तीन फरवरी 2022 को निवाई के रक्ताचंल पर्वत में गश्त कर रही वन विभाग की टीम पर खनन माफियाओं ने हमला कर दिया था। इसमें रेंजर हरेन्द्रसिंह समेत चार जने घायल हो गए। थे।
मैं कभी गया नहीं
पुरानी टोंक क्षेत्र में अवैध खनन पर कार्रवाई होती है। खनन क्षेत्र में तो कभी मैं गया नहीं। अभी अवकाश पर हूं, खनन की ज्यादा जानकारी नहीं है।
- उदयसिंह, थाना प्रभारी पुरानी टोंक
पुरानी टोंक क्षेत्र में अवैध खनन पर कार्रवाई होती है। खनन क्षेत्र में तो कभी मैं गया नहीं। अभी अवकाश पर हूं, खनन की ज्यादा जानकारी नहीं है।
- उदयसिंह, थाना प्रभारी पुरानी टोंक
करते हैं कार्रवाई
अवैध खनन पर समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। अब गश्त और बढ़ा दी जाएगी। पदस्थापन हुए भी कुछ समय ही हुआ है।
- विजयपाल सिंह मीना, रेंजर वन विभाग टोंक
अवैध खनन पर समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। अब गश्त और बढ़ा दी जाएगी। पदस्थापन हुए भी कुछ समय ही हुआ है।
- विजयपाल सिंह मीना, रेंजर वन विभाग टोंक