लेकिन एक साथ इतने लोगों को दूर रखकर ठहराने में मछली संवेदक ने भी हाथ खड़े कर दिया है। पूर्व में भी मछली संवेदक की ओर से राशन की व्यवस्था की जा रही थी, लेकिन मछुआरे बांध के जलभराव क्षेत्र में दूर-दूर तक फैले होने के कारण पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पा रही थी, जिससे दर्जनों मछुआरों को पानी में पेट की आग बुझाने के लिए परेशान होना पड़ रहा था।
इस पर राजस्थान पत्रिका ने 24 मार्च के अंक में मछुआरों की पतवार पर कोराना ने लगाई रोक व 28 मार्च के अंक में तीन सौ मछुआरें फंसे कोराना के जाल में शीर्षक से समाचार प्रकाशित करने के बाद हरकत में आए मछली संवेदक व प्रशासन की ओर से मछुआरों की सुध लेना शुरू कर दिया है।
एक साथ तीन सौ से अधिक मछुआरे एक साथ झुण्ड में पास-पास रहने के कारण कोरोना वाइरस के फैलने की आशंका के साथ ही अभी भी मास्क व चिकित्सा जांच की कमी खल रही है।
छलक पड़ी आंखे- बीसलपुर बांध के मत्स्य लैडिंग सेन्टर पर जब पत्रिका संवाददाता पहुंचा ओर मछुआरों से उनके हाल व भोजन के साथ ही परेशानियों के बारे में पूछताछ करने लगे तो मछुआरों की आंखों में आंसू छलक पड़े। मछुआरों ने बताया कि उनका परिवार कोसों दूर है ऐसे मेें कोरोना वाइरस का खौफ भी है।
उनके घरों पर बच्चे बीमार है तो कई लोगों के घरों में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है ऐसे में वो उनकी मदद भी नहीं कर सकते है। यहां काम बंद है वही वो बैकार बैठे है।