गत माह तक कस्बे में औसतन छह दिन में एक गाय की मौत हो रही थी। वहीं विगत तीन दिन में ही पांच गायों की मौत हो गई है, जबकि जंगल में मरने वाली इसमें शामिल नहीं हैं।
सोमवार को बस स्टैण्ड पर दो और अखनेश्वर परिसर के पास एक गाय की मौत हो गई। कस्बे में विगत वर्ष में लगभग 6 5 गायों की मौत हो चुकी है। पंचायत रिकार्ड के अनुसार माह में औसतन पांच की मौत हो रही थी।
इधर स्थानीय ग्राम पंचायत की ओर से विगत दो माह में 19 मृत गायों को उठवाने का भुगतान किया जा चुका है। गो-वंश को बचाने के लिए राधेश्याम चन्देल, महेन्द्र मीना, छीतर डागर, चौथमल मीना सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने पंचायत मुख्यालय पर पशु आश्रय स्थल खोलने की मांग की है।
पॉलीथिन बन रही जानलेवा
सडक़ पर बेसहारा छोड़ी गई गाय पेट की आग बुझाने के लिए गन्दगी और प्लास्टिक का कचरा खाने को मजबूर हो रहा हैं। आवां पशु चिकित्सालय के प्रभारी डा. हरीश मीना के अनुसार के अनुसार प्लास्टिक और सड़ी-गले पदार्थ खाना इनकी मौत का सबसे बड़ा कारण है। पानी की कमी तथा हीट स्ट्रोक भी मौत का कारण बन रहा है।
गर्मी में मवेशियों के लिए हरा चारा और छायादार आवास होना आवश्यक है। देखरेख व उपचार के अभाव से इनकी मौतों की संख्या में इजाफा हो रहा है।