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जांच में खामी, बलात्कार का आरोपी बरी

locationटोंकPublished: Apr 16, 2021 09:01:10 pm

Submitted by:

jalaluddin khan

कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक से कहा जांच अधिकारी के खिलाफ 3 माह में करें कार्रवाईटोंक. जिले के एक गांव में गत वर्ष मासूम के साथ हुए अपहरण व बलात्कार मामले में जांच में रही कमियों पर सवाल उठाते हुए पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया।

जांच में खामी, बलात्कार का आरोपी बरी

जांच में खामी, बलात्कार का आरोपी बरी

जांच में खामी, बलात्कार का आरोपी बरी
कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक से कहा जांच अधिकारी के खिलाफ 3 माह में करें कार्रवाई
टोंक. जिले के एक गांव में गत वर्ष मासूम के साथ हुए अपहरण व बलात्कार मामले में जांच में रही कमियों पर सवाल उठाते हुए पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि जांच अधिकारी 5 साल की बच्ची से बलात्कार जैसे मामले में गंभीरता के साथ जांच करने में असफल रहा जिससे बलात्कार मामले में सजा नहीं हो सकी।

साथ ही पुलिस महानिदेशक को मामले के जांच अधिकारी रहे पुलिस उपाधीक्षक जग्गू राम के खिलाफ तीन माह में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यह अधिकारी वर्तमान में बाड़मेर जिले के बायतू में तैनात है।
विशिष्ट न्यायाधीश (लैंगिग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2005) मानसिंह चूडावत ने यह आदेश दिया। न्यायालय ने साक्ष्य में कमी मानते हुए इसे नाबालिग के साथ बलात्कार की श्रेणी में कार्यवाही योग्य नहीं माना।
अधिवक्ता ललितकुमार जग्रवाल ने बताया कि मामला 18 मार्च 2020 का है। पांच साल की मासूम के साथ अपहरण व बलात्कार हुआ और पुलिस उपाधीक्षक को जांच दी गई। आरोपी के खिलाफ धारा 363, 366, 376 ए और बी में मामला दर्ज हुआ था।
19 मार्च 2020 को दर्ज रिपोर्ट के अनुसार 5 साल की मासूम के साथ अपहरण कर बलात्कार किया गया। उसे आरोपी अपने घर ले गया और बलात्कर किया। पीडि़ता रोती-बिलखती घर पहुंची और आपबीती बताई। पुलिस ने दो दिन बाद ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। जांच अधिकारी का कुछ महीने पहले टोंक जिले से तबादला हो गया।

न्यायालय ने आदेश में बताई कमियां
– अधिवक्ता ललितकुमार जग्रवाल ने बताया कि बलात्कार के दौरान उपयोग में ली गई खाट को पुलिस ने बरामद किया। पुलिस ने उसे काट कर फर्द बना दी। ऐसे में उस पर रक्त या अन्य साक्ष्य नहीं मिले।
– अस्पताल में बालिका के भर्ती व उपचार के दस्तावेज को चालान का हिस्सा नहीं बनाया गया।

– बालिका और आरोपी के शरीर पर चोट का पुलिस ने उल्लेख नहीं किया, जबकि बलात्कार के समय रक्त या अन्य घाव होने चाहिए थे। घटनास्थल पर लूगड़ी मिली, लेकिन पुलिस कोर्ट में यह नहीं बता सकी कि वह किसकी थी।
– मेडिकल के दौरान आरोपी का ब्लड लिया, लेकिन वह मालखाना या जांच अधिकारी के पास नहीं मिला।

– पुलिस यह भी साबित नहीं कर सकी कि बलात्कार करने वाले ने ही अपहरण किया।
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